केजरीवाल सरकार ने बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रति परिवार को 10 हजार रुपये की सहायता राशि देने को मंजूरी दी है। यह निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उनकी स्थिति का आकलन करने के बाद लिया गया। गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली कैबिनेट ने बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों को तत्काल आर्थिक सहायता देने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति चिंता व्यक्त किया। उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण समय में तत्काल सहायता प्रदान करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराई। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सहायता राशि देने का उद्देश्य प्रभावित परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान कर बाढ़ के प्रभाव से उबरने में मदद करना है। यह निर्णय इसलिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रभावित परिवारों ने राहत शिविरों से वापस लौटना शुरू ही किया है और ऐसे समय पर उन्हें वित्तीय सहायता मिलेगी।
कैबिनेट फैसले के मुताबिक बाढ़ से प्रभावित और वर्तमान में राहत शिविरों में रहने वाले परिवारों को 10 हजार रुपये की सहायता राशि मिलेगी। सहायता राशि प्रत्येक लाभार्थी परिवार के मुखिया के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। यदि किसी लाभार्थी के पास बैंक खाता नहीं है, तो जिला प्रशासन राहत राशि हस्तांतरित करने से पहले खाता खोलने के लिए शिविर लगाएगा।
सत्यापन प्रक्रिया, संबंधित जिला प्रशासन द्वारा की जाएगी। लाभार्थियों को प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, पानी का बिल, बिजली बिल, गैस कनेक्शन बिल, आधार कार्ड, बैंक पासबुक, डाकघर पासबुक, संपत्ति दस्तावेज, ड्राइविंग लाइसेंस, जन्म प्रमाण पत्र, भारतीय पासपोर्ट आदि में से कोई जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। बाढ़ग्रस्त इलाकों के यह दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वालों को वास्तविक लाभार्थी माना जाएगा। जिला प्रशासन आगे के सत्यापन के लिए मतदाता सूची या बाढ़ क्षेत्र से संबंधित किसी अन्य आधिकारिक रिकॉर्ड की भी मदद ले सकता है। वहीं सहायता राशि को मंजूरी देने का अधिकार विभाग प्रमुख के रूप में कार्य करने वाले जिला मजिस्ट्रेट के पास रहेंगे।
अगर लाभार्थियों के बाढ़ के कारण दस्तावेज खो गए हैं और सत्यापन असंभव हो गया है तो जिला प्रशासन एक क्षेत्रीय स्तर पर जांच करेगा। इसके बाद मामलों को आगे की समीक्षा और सहायता राशि के भुगतान पर निर्णय के लिए राजस्व मंत्री को सौंपेगा।
बाढ़ से प्रभावित ऐसे परिवार जो जलमग्न क्षेत्रों में हैं, लेकिन राहत शिविरों में नहीं हैं, उनको भी सहायता राशि देने पर विचार किया जाएगा। बाढ़ के कारण कृषि में नुकसान का सामना करने वाले किसान भी समान नियमों के तहत सहायता राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे।