केजरीवाल सरकार के स्कूलों में अब पढ़ाई को और भी ज्यादा रोचक बनाया जा रहा है| यानि की अब बच्चों को हिंदी-अंग्रेजी, गणित व अन्य विषयों को केवल किताबों से नहीं बल्कि म्यूजिक, डांस, थिएटर,आर्ट के माध्यम से सीखाया जाता है| इस दिशा में केजरीवाल सरकार ने नालंदा-वे फाउंडेशन के साथ अपने 9 स्कूलों में ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी| जुलाई 2022 से मार्च 2023 तक केजरीवाल सरकार के 9 स्कूलों में चले इस पायलट प्रोजेक्ट को शानदार सफलता मिली और इसके सीखने-सीखाने के तरीकों को बदल दिया| इसकी सफलता को देखते हुए मंगलवार को शिक्षा मंत्री आतिशी की उपस्थिति में इसके रिपोर्ट को लांच किया गया| साथ ही शिक्षा मंत्री ने पायलट के दौरान छात्रों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों सहित अन्य आर्ट-वर्क की प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया|
इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि, एक बच्चा जब हर सुबह घर से स्कूल आता है तो वो बहुत उर्जावान होता है और उत्सुकता से भरा होता है| बच्चे की इस उत्सुकता को बरक़रार रखते हुए उसका इस्तेमाल उसे कुछ सीखाने में किया जाए इसके लिए बेहद जरुरी है कि हम पढ़ने-पढ़ाने के तरीके में कुछ बदलाव लेकर आए| उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ के विभिन्न आर्ट फ़ार्म्स से सीखना उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा है जिसने बच्चों की सीखने की उत्सुकता को बरक़रार रखते हुए उन्हें अपनी स्किल्स को पहचानने और आत्मविश्वास के साथ खुद को अभिव्यक्त करना सीखाया है|
शिक्षा मंत्री ने कहा कि, इस करिकुलम के पायलट फेज के बाद बच्चों के अंदर जो आत्मविश्वास आया है वो इसकी सफलता को दिखाता है| उन्होंने कहा कि, पढाई की शुरुआत के दौरान जब बच्चे छोटी क्लासों में होते है और उनसे पूछा जाता है कि क्या उन्हें आर्ट,म्यूजिक,डांस आता है तो सब ‘हाँ’ में जबाव देते है लेकिन जैसे-जैसे वो बड़े होते जाते है-इन चीजों को लेकर उनका सारा आत्मविश्वास ख़त्म हो जाता है| मतलब जिस कॉन्फिडेंस के साथ बच्चे स्कूल आते है स्कूल पूरा करते करते आर्ट फॉर्म्स को लेकर उनका कॉन्फिडेंस ख़त्म सा हो जाता है|
उन्होंने कहा कि, हम सभी के लिए सोचने की बात है कि हम सब बच्चों को ज्यादा कॉंफिडेंट बनाने के बजाय कहीं उनका कॉन्फिडेंस कम तो नहीं कर रहे है| क्योंकि बच्चे जब स्कूल में आते है तो उनमें बहुत एनर्जी और उत्सुकता होती है लेकिन 6-7 घंटे केवल क्लासरूम में रहते हुए उनकी ये उत्सुकता कही गायब हो जाती है| बच्चों में सीखने की ये उत्सुकता बढ़ी रहे इसके लिए ये बेहद जरुरी है कि सीखने की पूरी प्रक्रिया में आर्ट्स को शामिल किया जाये| ताकि चाहे बच्चे हिंदी,अंग्रेजी,गणित, विज्ञान या कोई सा भी विषय पढ़ रहे हो उनमें उसे सीखने के लिए उत्सुकता बनी रहे|
शिक्षा मंत्री ने कहा कि, ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ का पायलट फेज सफल रहा है और हम आगे इसे अपने अन्य स्कूलों में भी अपनाएंगे|
क्या है ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’?
दिल्ली आर्ट्स करिकुलम, स्टूडेंट्स को आर्ट एजुकेशन देने के तरीकों में बदलाव लाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस दिशा में दिल्ली की अनूठी सांस्कृतिक विरासत और विविधता को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ सालों में एक्सपर्ट्स व टीचर्स की एक टीम द्वारा इस करिकुलम को विकसित किया गया है।
ये करिकुलम 3 से 13 साल के बच्चों पर फोकस करते हुए डेवलप किया गया है| जहाँ मौजूदा पढ़ाने के तरीकों को 5 आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से जोड़ा गया है| ये 5 आर्ट फॉर्म विजुअल आर्ट्स,म्यूजिक,डांस,थिएटर व मीडिया आर्ट्स है|
पायलट फेज के दौरान नर्सरी से कक्षा 5वीं के बच्चों को आर्ट एक्सपोज़र और प्रदर्शनी के माध्यम से उनकी अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाया गया| म्यूजिक,डांस और विजुअल आर्ट माध्यमों से बच्चों को एल ऐसा मंच प्रदान किया गया जहाँ वो विभिन्न विषयों को इन आर्ट फॉर्म्स के माध्यम से सीखने लगे|
कक्षा 3 से 5 के बच्चों को हिंदी व अंग्रेजी भाषा सीखाने के लिए म्यूजिक पोएट्री का इस्तेमाल किया गया| आगे 8वीं तक की कक्षाओं के बच्चों को म्यूजिक थिएटर के माध्यम से लर्निंग दी गई|
इस दौरान प्रत्येक पायलट स्कूल के ग्रेड 8 के छात्रों को स्क्रिप्ट राइटिंग, कास्ट्यूम डिजाइन, म्यूजिक कम्पोजिंग, डांस और आर्ट डायरेक्शन से जुड़े अपने स्वयं के म्यूजिक थिएटर प्रोडक्शन डेवलप किए।
ये करिकुलम बच्चों को विजुअल एंड परफोर्मिंग आर्ट्स द्वारा सीखने का एक समृद्ध अनुभव प्रदान करने में सक्षम बनाता है। 9 महीने के पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इसमें लगभग 4000 छात्र शामिल हुए| इस पूरे प्रोजेक्ट के दौरान छात्रों के सीखने सम्बन्धी व्यवहारों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले, बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा और वो आर्ट के विभिन्न फॉर्म के माध्यम से खुद को और बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करने लगे| ‘दिल्ली आर्ट्स करिकुलम’ की इस सफलता को देखते हुए इसे केजरीवाल सरकार के और स्कूलों में भी शुरू करने की तैयारी की जा रही है| इन सब के अतिरिक्त पायलट के दौरान शिक्षकों को इससे जुडी ट्रेनिंग भी दी गई|
पायलट फेज के बाद बच्चों में क्या बदलाव देखने को मिले?
- बच्चों ने इमेजिनेशन के साथ अपने ओरिजिनल आर्ट वर्क बनाए|
- आर्ट का इस्तेमाल करते हुए बच्चे अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करने लगे|
- क्लास में बच्चों की उपस्थिति और सहभागिता बढ़ी|
- बच्चों ने अपनी स्किल्स को समझा और टीम में काम करना सीखा|
इस करिकुलम के माध्यम से स्कूलों में प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया| जिसमें सभी विद्यार्थियों को अपने टैलेंट को दिखाने का मौका मिला| साथ ही विभिन एक्टिविटीज में छात्रों के साथ उनके पेरेंट्स भी शामिल हुए|