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आम आदमी पार्टी ने ईडी को लेकर बुधवार को बड़ा खुलासा किया। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने यह महा खुलासा करते हुए कहा कि ईडी थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर आम आदमी पार्टी के नेताओं को फंसाने के लिए आबकारी नीति मामले में मनमाफिक बयान दिला रही है। जबकि आबकारी नीति का केस पूरी तरह से फर्जी है। राजनीतिक दबाव में ईडी ने यह केस बनाया है, ताकि दिल्ली सरकार को बदनाम किया जा सके। उन्होंने कहा कि छह गवाहों ने हाईकोर्ट जाकर ईडी की साजिश का पर्दाफाश किया है। ईडी ने एक व्यक्ति को कहा कि तेरी बेटी कॉलेज कैसे जाएगी? गवाह चंदन रेड्डी ने कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि ईडी ने मुझे इतना मारा कि कान के पर्दे फट गए। उन्होंने कहा कि मैंने संसद में कहा था कि पिछले 8 वर्षों में ईडी ने 3 हजार मामले दर्ज किए और उसका दोषसिद्ध दर मात्र 0.5 फीसद ही है। इस पर विशेधाधिकार समिति ने उन्हें समन किया है। जिसका उन्होंने जवाब भेजते हुए ईडी के अधिकारियों को भी बुलाने की मांग की है, ताकि वे बताएं कि हाईकोर्ट में उनके खिलाफ आई शिकायतों का तथ्य क्या हैं?

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि ईडी तानाशाही रवैया अपनाए हुए है। ईडी को देश की सबसे ताकतवर जांच एजेंसी मानी जाती है। वहीं, अब ईडी लोगों और उनके परिवारिजनों को प्रताड़ित कर रही है। ईडी ने एक व्यक्ति को यह तक दिया कि तुम्हारी बेटी कॉलेज कैसे जाएगी, हम देखेंगे। ईडी अब लोगों की बेटी, पत्नी और बूढ़ें मां-बाप को धमकी दे रही है और मारपीट कर जबरन बयान लिया जा रहा है। जिनसे ईडी ने मारपीट और धमकी देकर जबरन बयान लिया है, उन्होंने कोर्ट के सामने ये बातें कही है।

ईडी ने इन लोगों से डरा-धमका कर बयान लिए

1- चंदन रेड्डी

चंदन रेड्डी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताते है कि ईडी ने इनको मारा पीटा और परिवार की धमकी देकर कहा कि जैसा वे कहते हैं वैसा लिखो वरना हम तुम्हारे परिवार का वो हाल करेंगे कि कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे। चंदन रेट्टी को इतना मारा पीटा गया कि उनके दोनों कान के पर्दे फट गए। ईडी की तानाशाही के गैस चौंबर में चंदन रेड्डी को थर्ड डिग्री देकर जबरन हस्ताक्षर कराया गया। चंदन रेड्डी की मेडिकल रिपोर्ट में यह सामने आया कि उनके साथ मारपीट की गई। इससे उनके कान के पर्दे फट गए और अब उन्हें सुनाई नहीं देता है।

2- अरुण पिल्लई

अरुण पिल्लई की पत्नी, बेटी और परिवार के लोगों को डराया-धमकाया गया। ईडी ने उनका बयान लिया। अरुण पिल्लई ने न्यायालय के सामने कहा कि मुझसे ईडी ने जबरन झूठा बयान लिया है।

3- समीर महेंद्रू

ईडी द्वारा समीर महेंद्रू की पत्नी को बुलाकर गिरफ्तार किया गया। परिवार के लोगों को डराया- धमकाया गया और उनसे जबरन झूठा बयान लिया गया। समीर महेंद्रू ने कोर्ट के समक्ष लिखित में कहा कि हमसे जबरत झूठा बयान लिया गया है।

4- भूषण बेलगावी

भूषण बेलगावी को भी प्रताड़ित कर ईडी ने जबरन झूठा बयान लिया। भूषण बेलगावी ने भी कोर्ट के सामने कहा कि मुझसे ईडी ने जबरदस्ती बयान लिया है, मेरी रक्षा कीजिए।

5- मनास्वनी प्रभुणे

ईडी ने मनास्वनी प्रभुणे का भी जबरदस्ती झूठा बयान लिया। बाद में मनास्वनी प्रभुणे ने भी कोर्ट को लिखकर दिया कि मुझसे ईडी ने प्रताड़ित कर जबरन झूठा बयान लिया।

6- राघव रेड्डी

राघव रेड्डी ने कोर्ट के सामने कहा कि हमारे ऊपर राजनीतिक नेताओं के नाम लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने ईडी से पूछा कि वो किसके दबाव और निर्देश पर काम कर रही है? क्योंकि चंदन रेट्टी की याचिका में चौंका देने वाली बात लिखी हुई है। याचिका में कहा गया है कि ईडी ने मुझे मारा-पीटा और मेरे कान के पर्दे फट गए। वहां कुछ ऐसे भी लोग थे जो ईडी के अधिकारी भी नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया। हम जानना चाहते हैं कि किस पार्टी के गुंडे ईडी के ऑफिस में जाकर लोगों के साथ मारपीट कर रहे हैं और जबरन बयान लिखवाते हैं। हाई कोर्ट के सामने यह याचिका पड़ी है। हमारी मांग है कि इसका खुलासा होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ईडी ने मनीष सिसोदिया के पर्सनल सेक्रेटरी रिंकू को बुलाया गया। कानूनन किसी भी व्यक्ति को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए नोटिस दिया जाता है। उसे कैमेरे के सामने रिकॉर्ड किया जाता है और सारी जानकारी को रिकॉर्ड में रखा जाता है। लेकिन ईडी हवाई डिपार्टमेंट हो गया है। ईडी लोगों को फोन करके बुलाती है और कहती है कि सुबह से शाम तक यहां बैठो। रिंकू को कई बार बुलाया गया।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने प्रधानमंत्री से पूछते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है। अगर बेटियों के नाम धमकी दी जाएगी तो कोई भी व्यक्ति अपनी जान तक दे सकता है। अगर लड़ना है तो सामने से लड़ो। कायरों की तरह बेटी, पत्नी और परिवार वालों का सहारा लेकर मत लड़ो।

उन्होंने कहा कि मैंने संसद में ईडी के संबंध में सभी विषयों को सिलसिलेवार तरीके से उठाया था। मैंने संसद में कहा था कि पिछले आठ वर्षों में ईडी ने तीन हजार केस दर्ज किया है और ईडी का दोषसिद्धि दर सिर्फ 0.5 फीसद है। यह कहने पर मुझे विशेषाधिकार समिति का नोटिस मिला है। अब मुझे देश की संसद में ये सारे मामले उठाने का अवसर मिल गया है। मैंने ये सारे कागजात पेश कर समिति से ईडी के अधिकारियों को समिति को भी बुलाने की है। संसद में उठाए गए मेरे सभी मामलों को ये कागजात 100 फीसद सिद्ध करते हैं कि ईडी राजनीतिक दबाव में जबरन झूठा मामला बनाती है और सरकारों को बदनाम करती है। सरकारों के ऊपर झूठे आरोप लगाती है। शराब घोटाले का कोई सिर-पाव नहीं है। ईडी ने जिन लोगों के जबरन झूठे बयान लेकर मामला बनाया है, वो लोग खुद कोर्ट के सामने जाकर कह रहे हैं कि डरा-धमका कर हमसे जबरन बयान लिए जा रहे हैं। ईडी के अधिकारियों से पूछा जाए कि हाईकोर्ट में इनके खिलाफ जो शिकायतें की गई हैं, उसकी सच्चाई और हकीकत क्या है?

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने विशेषाधिकार समिति को भेजा जवाब

  • मैंने सदन के शून्यकाल में उल्लेख किया था कि केंद्र सरकार ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर तीन हज़ार छापे मारने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का इस्तेमाल किया, लेकिन ईडी द्वारा जांच किए गए केवल 23 मामलों में ही दोषसिद्धि हुई है।
  • जबकि सदस्य (अपनी लिखित शिकायत में) मुझ पर सदन में ‘भ्रामक बयान’ देने का आरोप लगाते हैं। वह अपने विवाद को साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं रखते हैं। चूंकि उन्होंने आरोप लगाया है, इसलिए इसे साबित करने की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। उन्हें उन 3,000 व्यक्तियों/संस्थाओं में से प्रत्येक के नाम, पते और ईडी की शिकायतों को प्रस्तुत करना चाहिए, जिन पर जांच अवधि के दौरान प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापा मारा गया हो। इन विवरणों, सूचनाओं और दस्तावेजों के आधार पर उन्हें विशेष रूप से प्रश्न में मेरे शून्यकाल के प्रस्तुतीकरण में विसंगति दिखानी चाहिए।
  • किसी विपक्षी सदस्य को डराने-धमकाने और उसकी आवाज को दबाने के लिए जान-बूझकर एक अस्पष्ट और तुच्छ शिकायत दर्ज करना सदन की अवमानना है और इसके उद्देश्य को विफल करता है।
  • मेरा बयान सरकार द्वारा राज्यसभा के दो सदस्यों को दिए गए उत्तरों के आधार पर था।
  • पारदर्शिता के मद्देनजर मैं समिति से अपील करता हूं कि जब मुझे पेश होने के लिए समन किया जाए तो कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी किया जाए। क्योंकि मुझ पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। जब मैंने वह बयान दिया था, जिसका सीधा प्रसारण किया गया था और इसलिए देश के लिए यह जानना आवश्यक होगा कि मुझ पर क्या आरोप लगाया जा रहा है?
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