दिल्ली सरकार के श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद ने सोमवार को कोरोना महामारी में जनसेवा करते हुए कोरोना की चपेट में आकर अपनी जान गंवाने वाली कोरोना योद्धा रीता वोहरा के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ से एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि का चेक सौंपा। इस दौरान श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद ने बताया कि कोरोना वॉरियर रीता वोहरा बतौर लैब टेक्नीशियन दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में कार्यरत थी, कोविड-19 महामारी के समय अस्पताल में लोगों की सेवा करते हुए वह कोरोना की चपेट में आ गई और उनका निधन हो गया। उन्होंने कहा कि भले ही अनुग्रह राशि परिवारों को हुए नुकसान की भरपाई नहीं कर पाए, लेकिन मुझे उम्मीद है कि परिजनों को इस आर्थिक मदद से अपना भविष्य संवारने एवं जीवन यापन में थोड़ी सहायता मिलेगी। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के समय दूसरों की सेवा करते हुए कोविड की चपेट में आकर जान गंवाने वाले दिल्ली के कई कोरोना योद्धाओं के परिजनों को केजरीवाल सरकार एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दे चुकी है।
श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद सोमवार को कोरोना योद्धा स्वर्गीय रीता वोहरा के परिवारजनों और उनके बच्चों से मिलने हरी नगर स्थित उनके निवास पर पहुंचे। इस दौरान श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने रीता वोहरा के परिवार से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी और भविष्य में भी जरूरत पड़ने पर हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में रीता वोहरा बतौर लैब टेक्नीशियन नियुक्त थी। उन्होंने कोरोना महामारी के समय अदम्य साहस का परिचय दिया। वह कोरोना के समय लोगों की सेवा के लिए अस्पताल में पूरी श्रद्धा के साथ अपनी ड्यूटी करती रहीं। इस दौरान वह कोरोना की चपेट में आ गई और 30 सितंबर, 2020 को उनका निधन हो गया।
33 साल अस्पातल में सेवा करते हुए बिताया जीवन
कोरोना वॉरियर रीता वोहरा का जन्म दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में हुआ था। उन्होंने 1983 में गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल ईस्ट ऑफ कैलाश से कक्षा 12वीं तक की शिक्षा पूरी की। इसके बाद तकनीकी शिक्षा बोर्ड, दिल्ली से उन्होंने मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में दो साल का डिप्लोमा पूरा किया। इसी के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की। साल 1985 में रीता वोहरा की दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में लैब असिस्टेंट के रूप में नियुक्ति हुई। जिसके बाद वह दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में कार्यरत थीं। उन्होंने लगातार 33 सालों तक अस्पताल में सेवा दी। यहां तक की उनके जीवन के आखिरी क्षण भी वहीं बीते। रीता वोहरा का बहुत ही परोपकारी और मददगार व्यक्तित्व था, जिसे आज भी उनके मित्र और परिवार के लोग बहुत याद करते हैं।
रीता वोहर के निधन से कुछ घंटे पहले ही हुआ था पति का स्वर्गवास
रीता वोहरा का 1989 में धर्मवीर वोहरा से विवाह हुआ था। धर्मवीर पेशे से फार्मासिस्ट थे। कोरोना की इस मुश्किल घड़ी में दोनों पति-पत्नी अस्पताल में जनसेवा के कार्य में लगे हुए थे। दुर्भाग्य से 30 सितंबर, 2020 को कोरोना योद्धा रीता वोहरा के निधन से कुछ घंटे पहले ही धर्मवीर वोहरा का भी स्वर्गवास हो गया था।
रीता और धर्मवीर के जाने के बाद घर में उनका एक बेटा और बेटी अकेले रह गए हैं। बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठने पर उनका हाल पूछते हुए श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद ने उनसे काफी समय बातचीत की और यह आश्वस्त किया कि भविष्य में भी किसी भी तरह की समस्या आने पर वह बेझिझक उन्हें आकर बता सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय रीता वोहरा की जान की कीमत नहीं लगाई जा सकती है लेकिन दिल्ली सरकार की ओर से दी गई यह राशि उनके परिवार की कुछ जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी। केजरीवाल सरकार उनके परिवार को आर्थिक मदद दे रही हैं, ताकि उनके परिजनों को अपने जीवन यापन और भविष्य को संवारने में मदद मिल सके। दिल्ली सरकार की यह योजना कोरोना योद्धाओं के परिवार को आत्मविश्वास देती है कि दिल्ली सरकार हमेशा उनके साथ है।
कोरोना योद्धाओं की मदद के लिए हमेशा तैयार केजरीवाल सरकार
श्रम एवं समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच जनता की सेवा के लिए डॉक्टरों, नर्सों, और कर्मचारियों ने परिजनों से दूर रहकर मरीजों के इलाज के लिए 24 घंटे सेवाएं दी। इस बीच कई कोरोना योद्धा खुद कोरोना संक्रमित हुए और अपनी जान तक गवां दी। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले। महामारी में जान गंवाने वाले दिल्ली के 70 से अधिक कोरोना योद्धाओं के परिजनों को केजरीवाल सरकार एक-एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि प्रदान कर चुकी है। उनकी मदद के लिए दिल्ली सरकार हमेशा उनके साथ है। हम अपने सभी कोरोना योद्धाओं का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा की है।