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हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा दिनांक 29-30 नवंबर, 2023 को दो दिवसीय ‘‘नाट्य समारोह’’ का आयोजन एलटीजी सभागार में किया गया। कला संस्कृति एवं भाषा मंत्री श्री सौरभ भारद्वाज कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्री सौरव भारद्वाज ने सभी युवा कलाकारों के अभिनय की सराहना की एवं उनका मनोबल बढ़ाया उन्होंने कहा कि नाटक साहित्य की अद्भुत विधा है जो समाज से और उसकी गतिविधियों से सीधा संवाद स्थापित करती है। अभिनय के माध्यम से समाज एवं व्यक्ति के चरित्रों का प्रदर्शन ही नाटक है। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यह भी कहा की मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से इन सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के नाटकों का आयोजन किया जा रहा है जिससे की आम जनता को अच्छे साहित्य और नाट्य विधा से रूबरू कराया जा सके।

नए एवं प्रतिभाशाली कलाकारों को मिला प्लेटफॉर्म

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है I परंतु कई बार संसाधनों के अभाव के कारण अच्छे प्रतिभा वाले कलाकार अपना अभिनय जनता के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं I उन्होंने कहा दिल्ली सरकार का कला संस्कृति एवं भाषा विभाग ऐसे ही नए और युवा कलाकारों को एक ऐसा प्लेटफार्म देने का काम कर रहा है, जिसके माध्यम से युवा कलाकार न केवल अपने अभिनय को बल्कि हमारे देश की संस्कृति को जन-जन तक पहुंचने में सक्षम हो सकेंगे I इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवा कलाकारों को कल और संस्कृति के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने में बेहद योगदान मिलेगा

भारतीय संस्कृति एवं कला को युवाओं तक पहुंचाएगी दिल्ली सरकार

इस दो दिवसीय कार्यक्रम के संबंध में एक बयान जारी करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम आज की युवा पीढ़ी को हमारे देश की कला एवं संस्कृति से रूबरू कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है I उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन और उत्तम संस्कृति है I परंतु आज के दौर में युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति और कला से बहुत अनभिज्ञ है I उन्होंने कहा कि हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित किए गए इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी और दिल्ली सरकार कि यह कोशिश है की दिल्ली की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से रूबरू कराया जाए और युवा पीढ़ी में विद्यमान वह लोग जो की किसी न किसी प्रकार से आज भी भारतीय संस्कृति और कला में रुचि रखते हैं उनको आगे बढ़ने का तथा भारत की संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक ले जाने का एक प्लेटफार्म दिया जा सके I

कलाकारों को मिला अपनी बात रखने का खुला मंच

कला संस्कृति एवं भाषा मंत्री श्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह एक ऐसा मंच है जहां पर कलाकार अपनी बात को खुले मन से रख सकता है I उन्होंने कहा आज इस देश में बहुत कम ऐसे मंच बचे हैं, जहां पर कोई कलाकार सरकार एवं सिस्टम में विद्यमान कमियों को प्रस्तुत कर सके I आज यदि कोई कलाकार या कोई व्यक्ति सरकार की आलोचना करता है तो उसे पर तरह-तरह के कैस लगाकर जेल में बंद कर दिया जाता है I परंतु दिल्ली सरकार का यह विभाग युवाओं एवं देश के भविष्य के बारे में सोचने वाले उन सभी लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां पर वह सरकार और सिस्टम में विद्यमान कमियों को भी खुलकर बता सकते हैं I

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में बुधवार दिनांक 29.11.23 को सायं 4.00 बजे से सुश्री माधुरी सुबोध द्वारा रचित नाटक मन वृंदावन तथा सायं 6.00 बजे से श्री भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित ऐतिहासिक नाटक चित्रलेखा का नाट्य मंचन किया गया।
प्रथम नाटक श्री नीलेश दीपक द्वारा निर्देशित नाटक मन वृंदावन में मीराबाई के जीवन प्रसंगों, विविध घटनाक्रमों को सहेजकर नाट्य स्वरूप प्रदान किया गया। गीत-संगीत, नृत्य एवं अभिनय से सजी नाट्य प्रस्तुति बहुत मनोरंजक एवं मनोरम रही। सायं 6.00 बजे से मंचित नाटक श्री कैलाश चंद द्वारा निर्देशित चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है? इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नाकर के दो शिष्यों श्वेतांक और विशालदेव सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरी की शरण में जाते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य की दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है।
उपरोक्त नाटकों में कलाकारों के अभिनय ने सभाागार में उपस्थित दर्शकों को मोहित कर दिया।
नाट्य समारोह के दूसरे दिन बृहस्पतिवार 30.11.2023 को डॉ. शंकर शेष का लिखा व गौरव ग्रोवर निर्देशित नाटक एक़ और द्रोणाचार्य नाटक में वर्तमान शिक्षक की तुलना उस द्रोणाचार्य से की है जिसने एक शिक्षक को अपने सिद्धान्तों से समझौता करते हुए अन्याय सहने की परम्परा दे दिया।
इस नाटक में नाटककार ने वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, पक्षपात, राजनितिक घुसपैठ तथा आर्थिक एवं सामाजिक दबावों के चलते निम्न मध्यवार्गीय व्यक्ति के असहाय बेबस चरित्र को उद्घाटित किया गया है।
बृहस्पतिवार का दूसरा नाटक सुश्री शम्पा मण्डल का लिखा व निर्देशित नाटक अस्तित्त्व का मंचन किया गया । नाटक की पृष्ठभूमि बंगाल के गरीब परिवार की है जिसमें एक महिला अपने परिवार की समस्याओं से लड़ती हुई उन समस्याओं का हल खुद ही निकलती है।

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