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केजरीवाल सरकार में दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने वो करके दिखा दिया जो 70 सालों में नहीं हुआ था
सीएम अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के सरकारी स्कूल के बारहवीं के हाई परफॉर्मर्स से मिले, छात्रों ने विपरीत परिस्थिति में मिली सफलता की कहानी बताई
- हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह अमीर हो या गरीब हो, टैक्स का भुगतान करता है और यह वही पैसा है, जो हमारी सरकार दिल्ली में उत्कृष्ट स्कूली शिक्षा सुविधा बनाने में इस्तेमाल करती है। मैं चाहता हूं कि आप हमेशा इसे याद रखें और जब आपका समय आएं तो अपने देश के लिए अपना योगदान दें – छात्रों को सीएम केजरीवाल
- यह एक मिथक था कि इस देश का गरीब अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहता। दिल्ली ने दिखाया है कि अगर सरकार गंभीर इरादे दिखाए और पढ़ाई के अवसर दे, तो गरीब लोग अपने बच्चे की शिक्षा के प्रति सक्रिय भागीदारी निभाते हैं- सीएम केजरीवाल
- 98 प्रतिशत पास प्रतिशत देने के बाद, हमारा अगला ध्यान हमारे दिल्ली सरकार के स्कूलों में हर बच्चे को गुणात्मक सुधार के अधिक अवसर देनें पर है – डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया
- उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले 98 प्रतिशत छात्र महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जो 2 प्रतिशत उत्तीर्ण नहीं हो सके, वह भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ये छात्र अपने प्रदर्शन में सुधार करें और 100 प्रतिशत अंक तक पहुंचने के लिए जुट जाएं- मनीष सिसोदिया*
- सीएम अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में 12वीं की बोर्ड परीक्षा में अपनी कड़ी मेहनत से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 19 छात्रों से मुलाकात की, छात्रों ने अपने माता-पिता और स्कूल के प्रधानाचार्य के साथ सीएम और डिप्टी सीएम के साथ अपनी कहानियों को साझा किया
नई दिल्ली, 22 जुलाई, 2020
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छात्रों को सीबीएसई कक्षा 12 बोर्ड परीक्षा में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘हर बच्चे को काफी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ा है, लेकिन उन्होंने अपना मन बना लिया था कि वे अच्छा स्कोर करेंगे। उन्होंने सोच लिया था कि वे परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य संबंधी जटिलतओं या वित्तीय समस्याओं समेत घर पर आने वाली सभी चुनौतियों के बावजूद अच्छे से पढ़ाई करेंगे। यह नतीजे, उनके अध्ययन के प्रति निर्विवाद प्रयासों और समर्पण का प्रमाण हैं।’
छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपको आगे बढ़ना होगा और सपने को आगे रखना होगा। और यदि आप सपने पूरा करने के लिए दिन-रात काम करते रहेंगे, तो आप ज़रूर सफल होंगे।’
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह करदाताओं का पैसा है, जिसका उपयोग सरकारी स्कूलों में शिक्षा के लिए किया जा रहा है और सभी छात्रों को मुफ्त और सुलभ शिक्षा दी जा रही है, इसलिए यह छात्रों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने राष्ट्र का ये क़र्ज़ उसे वापस दें।
आपके विद्यालय में सब कुछ मुफ्त है। यह मुफ्त कैसे है? धन कहां से आ रहा है? यह करदाताओं के पैसे का उपयोग किया जा रहा है। और टैक्स का भुगतान कौन करता है? इस देश का सबसे गरीब व्यक्ति भी टैक्स का भुगतान करता है। यह बिक्री कर या जीएसटी का एक हिस्सा हो सकता है, जो कि माचिस या स्टेशनरी, या यहां तक कि भोजन खरीदने के दौरान लिया जा रहा है। यह एक गरीब व्यक्ति द्वारा टैक्स के रूप में भुगतान किया गया धन है, जिसके माध्यम से आप मुफ्त और अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए जब आप बड़े हो जाते हैं, तो वही बनो जो आपने बनने की ख्वाहिश की है। लेकिन यह मत भूलो कि राष्ट्र ने आपके लिए क्या किया है? आपके लिए इस देश ने क्या किया है, एक दिन इसके बदले में सर्वश्रेष्ठ वापस देने के लिए तैयार रहें।
यह एक मिथक था कि इस देश का गरीब अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहता। दिल्ली ने दिखाया है कि अगर सरकार गंभीर इरादे दिखाए, तो गरीब अपने बच्चे की शिक्षा के प्रति सक्रिय भागीदारी निभाते हैं- सीएम केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘यह एक सामान्य धारणा है कि एक कम आय वाला परिवार नहीं चाहता है कि उनका बच्चा पढ़ाई करे, बल्कि एक गरीब आदमी अपने बच्चों को काम करने और पैसे कमाने के लिए भेजना चाहता है। यह सरकार के लिए एक विफलता थी, जिसने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सुनिश्चित नहीं की, जिससे चलते निम्न-आय वाले परिवारों को लगता है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बर्बादी होगी। अब, जब सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार हुआ है, गरीब व्यक्ति चाहता है कि उसका बच्चा पढ़ाई करे और उसका उज्जवल भविष्य बनाए। खुद एक आम आदमी अब चाहता है कि उसका बच्चा स्कूल जाए, कड़ी मेहनत से पढ़ाई करे और अपना नाम बनाए। हर पिता-पिता यह इसके लिए उत्सुक होते हैं कि उनके बच्चों की अच्छी शिक्षा हो। इसलिए अभिभावक-शिक्षक बैठकों में भाग लेने लगे। यह उनके बच्चों की शिक्षा के लिए उनके समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यदि अमीर घर के बच्चे पढ़ाई नहीं करते हैं, तो उनके माता-पिता ने उनके लिए पैसा और बचत छोड़ दी है, लेकिन अगर एक गरीब आदमी का बच्चा पढ़ाई नहीं करता है, तो वह कहां जाएगा? इसलिए गरीब के पास एकमात्र विकल्प है कि वह कठिन परिश्रम से अपनी पढ़ाई करे और अपना भविष्य बनाए।
मेरे शिक्षकों ने मेरी आर्थिक सहायता करके मेरी मदद की- राघव कुमार, जीबीएसएसएस, मुंडका, 93.4 प्रतिशत अंक
राघव बिहार के रहने वाले हैं और दिल्ली में अकेले रहते थे। वह अपने खाली समय में आस-पास के कारखानों में काम करते थे और अपने पड़ोस के छात्रों के लिए ट्यूशन भी लेते थे। राघव ने कहा, ‘मैंने कक्षा 11 में घर छोड़ दिया, और स्वतंत्र रूप से रहना शुरू कर दिया। मेरे शिक्षकों ने मुझे आर्थिक रूप से बहुत मदद की।’
मैं कक्षा 11 में फेल हो गई थीं और अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। अपने प्रिंसिपल और शिक्षकों के निरंतर सहायता और प्रोत्साहन की वजह मैंने 12वीं कक्षा में आज खुद को साबित कर सका – चारु यादव- आर.पी.वी.वी., सेक्टर 11, रोहिणी
कक्षा 12वीं के मानविकी सेक्शन के टॉपर चारू यादव 9वीं कक्षा के गणित में असफल हुई थीं। उसने 11वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम ली और दोबारा 11वीं कक्षा में फेल हुई और इसके बाद उसने ह्यूमैनिटीज चुनने की सलाह दी गई और 12वीं कक्षा में वह टॉपर बनकर उभरीं।
सरवर खान- सरकारी को-एडेड सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चिल्ला गांव
बोर्ड परीक्षा में 73.40 प्रतिशत नतीेजे लाने वाले सरवन खान ने कहा, ‘नॉर्थ ईस्ट दंगों के दौरान मैं भी प्रभावित हुआ था। मैंने जल्दी तैयारी शुरू कर दी थी, ताकि मेरी पढ़ाई प्रभावित न हो। मैं देर तक जागता रहता था और पढ़ाई करता था। मेरे प्रिंसिपल मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। सरवन खान ने कहा, ‘मेरे पिता ई-रिक्शा चालक हैं।’
शमीना खातून, एसकेवी नं.-2 मादीपुर- 95.6 प्रतिशत स्कोर
शमीना खातून ने कहा, “मेरे परिवार में, हम लड़कियों को कभी भी पढ़ाई करने या कैरियर बनाने की अनुमति नहीं थी। हमें उर्दू सिखाई गई थी, लेकिन स्कूलों में जाना हमारे अधिकार से बाहर था। मेरे तीन भाई और एक बहन हैं, और मेरे परिवार में कोई भी लड़कियों की शिक्षा में विश्वास नहीं करता था, लेकिन यह मेरे पिता की वजह से है, जिन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया। मैंने आज कड़ी मेहनत की और इतना अच्छा प्रदर्शन किया।”
सरोजनी नगर स्थित मेहजबी, एसकेवी नंबर-1 से बोर्ड परीक्षा में 94 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, वह अपने परिवार में पहली लड़की हैं, जिसने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है।
खुशबू, आरपीवीवी नंद नगरी, आर्ट्स स्ट्रीम में 96.6 प्रतिशत स्कोर किया
जब खुश्बू और उसके भाई की परीक्षा उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे और कोरोना लॉकडाउन के दौरान चल रही थी, उस दौरान खुशबू के माता-पिता यूपी के लखीमपुर में अपने गांव में थे। वह और उसका छोटा भाई जो आठवीं कक्षा में पढ़ता है, दिल्ली में अकेले रह गए थे। खुशबू ने घर का सारा काम, भोजन, अपनी व भाई की परीक्षा और घर की पूरी जिम्मेदारी संभाली। उसके स्कूल ने भी उसे लगातार सहायता प्रदान की और उसका मनोबल बढ़ाया। उसने कहा, ‘जब दंगे भड़के थे, तब मेरे पास मात्र 1500 रुपये नकद के अलावा कोई और पैसा नहीं बचा था, इसी से मैने दो महीने तक अपनी आजीविका को चलाया।’
‘उप मुख्यमंत्री की पूर्व सलाहकार और कालका जी से विधायक आतिशी ने कहा, ‘सरकारी स्कूल के छात्रों को द्वितीय श्रेणी के नागरिकों के रूप में देखा जाता था। लेकिन आपके प्रदर्शन के बाद, यह मानसिकता बदल गई है और आपने यह दिखाया है कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जो सरकारी स्कूलों के बच्चे हासिल नहीं कर सकते है।’
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