दिल्ली सरकार का बजट पेश होने से रोकने पर मंगलवार को विधानसभा के बजट सत्र में दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी चुनी हुई सरकार को अपना बजट पेश करने नहीं दिया जा रहा। इससे बड़ा असंवैधानिक कार्य और कुछ नहीं हो सकता है। वित्त मंत्री ने विधानसभा में भाषण देते हुए कहा कि 10 मार्च को दिल्ली सरकार ने कैबिनेट से मंजूरी लेकर केंद्र सरकार को बजट भेजा। 17 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव को बजट पर कुछ सवाल भेजे। 20 मार्च दोपहर 2 बजे हमें इसकी जानकारी मिली। इसके बाद हमने सीएम से मंजूरी लेकर गृह मंत्रालय के सभी प्रश्नों का उत्तर देते हुए रात 9 बजे फाइल एलजी दफ्तर में भेजी। मगर रात 10:30 बजे एलजी दफ्तर से फाइल वापस लौटा दी गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय से 17 मार्च को 5:30 बजे पत्र लिखा गया, तब से लेकर 20 मार्च दोपहर 2 बजे तक वित्त मंत्री को इसकी जानकारी नहीं दी गई। सरकार का बजट पेश होने के इतने महत्वपूर्ण विषय में आए ई-मेल को चीफ सेक्रेटरी को तुरंत वित्त मंत्री और दिल्ली सरकार के संज्ञान में लाना चाहिए था, मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर इस तरीके से बजट में भी काम रोका जाएगा, तो मुख्यमंत्री-कैबिनेट मंत्री और दिल्ली सरकार किस लिए है? दिल्ली की 2 करोड़ जनता ने एक सरकार और मुख्यमंत्री काम करने के लिए चुना है। उन्हें ऐसे तंग करके काम नहीं करने देने से किसी का कोई फायदा नहीं है। जब कैबिनेट ने कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए बजट पर मंजूरी लेकर इसे एलजी को भेज दिया, तो फिर किस बात पर आपत्ति उठाई जा रही है? सरकार को ई-मेल के संबंध में समय से क्यों नहीं बताया गया। इसकी उचित जांच होनी चाहिए। बजट पेश न होने से दिल्ली सरकार के कर्मचारियों का वेतन रुक जाएगा। वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने सदन से सभी तथ्यों की उचित जांच करने की मांग की है।
दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने सिलेसिलेवार तरीके से बजट को रोके जाने के षड्यंत्र का खुलासा किया है। कैलाश गहलोत ने कहा कि पूरे देश और इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी चुनी हुई सरकार को अपने अपना बजट पेश नहीं करने दिया जा रहा है। बड़े दुख और भारी मन के साथ मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि सोमवार को केंद्र सरकार ने हमारे बजट को पेश होने से रोक दिया। यह सभी को पता था कि 21 मार्च को बजट पेश होना है। यह सदन के बिजनेस में भी सूचीबद्ध था। एलजी को मालूम था कि 21 मार्च को बजट पेश होना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को कानून के अनुसार 10 मार्च को पूरा बजट सभी दस्तावेजों के साथ को भेज दिया गया। मुझे 20 मार्च को करीब 2 बजे के आसपास पता चला कि गृह मंत्रालय ने कुछ सवाल उठाए हैं। इस विषय में मैंने तुरंत चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरी से बात की कि आखिर गृह मंत्रालय ने क्या भेजे हैं? इस विषय में चीफ सेक्रेटरी से दो बार और प्रिंसिपल फाइनेंस सेक्रेटरी से भी 2 बजे से लेकर शाम के 6 बज तक तीन-चार बार बात की कि गृह मंत्रालय ने जो सवाल भेजे हैं आप उसे हमें भेजें ताकि हम उसे देखकर काम कर सकें। क्योंकि हमारे पास बिल्कुल समय नहीं था। गृह मंत्रालय से सोमवार शाम को 6 बजे पत्र आया और उसके साथ एक फाइल आई। हमने उसे तुरंत देखा, उसमें जो भी प्रश्न उठाए गए थे उसका उत्तर तैयार किया। इस विषय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बात की और रात ठीक 9 बजे हमने इस फाइल को एलजी दफ्तर में भेजा। इसके बाद करीब 10:30 बजे एलजी दफ्तर से फाइल वापस लौटा दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि यह बातें मैं सदन के पटल पर इसलिए रख रहा हूं कि अगर चुनी हुई सरकार को अपना बजट भी पेश करने नहीं दिया जाएगा, तो इससे बड़ा कोई घोर अन्याय और असंवैधानिक कार्य नहीं हो सकता है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी फाइनेंस के घर रात को ही फाइल भेजी गई, सुबह उनसे फिर इस विषय में बात की गई। तब उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय के प्रश्नों का उत्तर ई-मेल से भेज दिया है और फिजिकल फाइल भी गृह मंत्रालय को जमा कर दी गई है।
वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि एक चीज मेरी समझ से बाहर है कि जो पत्र गृह मंत्रालय से लिखा गया, वो 17 मार्च को 5:30 बजे लिखा गया है। वित्त मंत्री को 17 मार्च से लेकर 20 मार्च की दोपहर 2 बजे तक यह मालूम नहीं है कि कोई चिट्ठी गृह मंत्रालय से आई है या नहीं आई है। इस संबंध में उचित जांच होनी चाहिए कि सरकार का बजट पेश होने के इतने महत्वपूर्ण विषय पर अगर ऐसा कोई पत्र 17 मार्च को ई-मेल के जरिए 5:30 बजे आया है तो समय से क्यों नहीं बताया गया। चीफ सेक्रेटरी कानूनी बाध्यता के अधीन थे। चीफ सेक्रेटरी को तुरंत इस तरह के महत्वपूर्ण ई-मेल को वित्त मंत्री और सरकार के संज्ञान में लाना चाहिए था। ताकि जो समय की बर्बादी हुई है वह नहीं होती। अगर इस तरीके से बजट में भी काम रोका जाएगा, तो मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार क्यों चुनी गई? दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री मंत्री किस लिए हैं? दिल्ली की 2 करोड़ जनता ने एक सरकार और मुख्यमंत्री को काम करने के लिए चुना है। अगर केंद्र सरकार को इस तरीके से दिल्ली सरकार को तंग करके काम करने नहीं देना है, तो मेरे ख्याल से फिर कोई फायदा नहीं है।
जब कैबिनेट ने बजट को मंजूरी देकर एलजी के पास भेजा दिया। जब दिल्ली सरकार पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए काम कर रही है। तो फिर किस बात पर आपत्ति उठाई जा रही है? यह सरासर चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने देने और दिल्ली की जनता को परेशान करने का काम है। बजट पेश नहीं होने का नुकसान यह है कि दिल्ली सरकार के कर्मचारियों का वेतन रुक जाएगा। इससे बड़ा असंवैधानिक कार्य और कुछ नहीं हो सकता। वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि मेरी सदन के अध्यक्ष से अपील है कि जो तथ्य सदन के पटल पर रखे गए हैं उसकी उचित जांच होनी चाहिए।