नई दिल्ली, 13 मई 2024
आम आदमी पार्टी ने सोमवार को लक्ष्मी नगर और मोती नगर फुट ओवर ब्रिज पर ‘जेल का जवाब वोट से’ कैंपेन के तहत ह्यूमन बैनर कार्यक्रम किया। इसके जरिए ‘‘आप’’ ने लोगों से भाजपा की तानाशाही को खत्म करने की अपील की। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता एवं विधायक दिलीप पांडे ने भी हिस्सा लिया। ओवर ब्रिज पर खड़े कार्यकर्ताओं के हाथ में एक विशाल बैनर था, जिस पर ‘जेल का जवाब वोट से’ देने की अपील की गई थी। साथ ही, सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली की महिलाओं को एक हजार रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा का भी जिक्र था। विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली की जनता वोट की ताकत से अपने बेटे सीएम अरविंद केजरीवाल को वापस जेल जाने से रोक सकती है। दिल्ली और देश को तय करना है कि भाजपा की तानाशाही, गुंडागर्दी और जेल की राजनीति का जवाब अपने वोट से देना है या नहीं। इस बार भाजपा बुरी तरह हार रही है। अरविंद केजरीवाल उसकी हार के ताबूत में आखिरी कील ठोंकने का काम करेंगे।
दिलीप पांडे ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल को किसी भी तरह से चुनाव प्रचार से बाहर रखने के लिए, बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे कैद कर दिया गया। लेकिन देश की न्यापालिका ने सत्यमेव जयते को अक्षुण्य रखा। इसका नतीजा ये हुआ कि 21 दिन के लिए ही सही लेकिन अरविंद केजरीवाल ने जेल की सलाखों के बाहर आकर शानदार बिगुल फूंक दिया है। वो कैंपेन कर रहे हैं। और उन्हें चुनाव प्रचार से बाहर रखने की बीजेपी की साजिश नाकाम हुई। अब दिल्ली और देश की जनता को तय करना है कि भाजपा की तानाशाही, गुंडागर्दी और जेल की राजनीति का जवाब अपने वोट से देना है या नहीं। देश के लोगों के सामने विकल्प है। अब वोट की ताकत दिखाकर अरविंद केजरीवाल को दोबारा जेल जाने से रोकना है। देश और दिल्ली की जनता ही अपने चहेते मुख्यमंत्री और बेटे अरविंद केजरीवाल को वापस जेल की सलाखों के पीछे जाने से रोक सकती है।
दिलीप पांडे ने कहा कि पिछले सभी चरणों के रुझानों से ये तय हो चुका है कि बीजेपी बुरी तरह से चुनाव हार रही है। अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आकर भाजपा की हार के ताबूत की आखिरी कील ठोंकने का काम कर रहे हैं। देश की न्यापालिका से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने भाजपा की जीत की रही सही कसर भी खत्म हो चुकी है। बीपेजी 200 पार नहीं कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर निकलने के 24 घंटे के भीतर बीजेपी की धुंआधार बखिया उधेड़ी है। उन्होंने बीजेपी के एक बहुत ही जायज सवाल पूछा है कि 75 साल तक सक्रिय राजनीति में रहने का उनका नियम कानून बीजेपी के प्रधानमंत्री पर लागू होगा या नहीं। नरेंद्र मोदी ने इसपर चुप्पी साध रखी है। हमारे यहां कहावत है कि ‘मौनं स्वीकृत लक्षणम्’। ऐसा जान पड़ता है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी चुप्पी से अरविंद केजरीवाल के सवाल पर अपनी सहमति व्यक्त की है। अब देश की जनता को ये तय करना है कि जब नरेंद्र मोदी 75 साल के हो रहे हैं तो ये वोट किसके लिए मांग रहे हैं।