ध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश में इनकी सरकारें हैं, वहां बिजली बहुत महंगी है। बिजली फ्री करने वाला चोर है या बिजली महंगी करने वाला चोर है। दिल्ली और पंजाब में इलाज मुफ्त हो गया। शानदार मोहल्ला क्लीनिक और अस्पताल बन गए। सबके लिए इलाज मुफ्त इंतजाम करने वाला चोर है या सबके लिए इलाज महंगा करने वाला। कह रहे हैं कि मनीष सिसोदिया चोर है। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में गरीबों के बच्चों के लिए शानदार स्कूल बनवाए और उनको भविष्य दिया। इनकी जहां सरकारें है, वहां सरकारी स्कूल बंद करते जाते हैं। वहां के बच्चे महंगे प्राइवेट स्कूल में जाने को मजबूर हैं। गरीबों के बच्चों के लिए शानदार शिक्षा का इंतजाम करने वाला चोर है या फिर गरीबों के बच्चों के स्कूल बंद करने वाला चोर है।
गलत बिल माफ होंगे, सरकार जल्द योजना की घोषणा करेगी- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोरोना के समय बहुत सारे पानी के मीटर की रीडिंग नहीं हुई, कई सारी गलत रीडिंग हुई और गलत बिल बन गए। तब से लोगों को बहुत दिक्कत हो रही है। बहुत सारे लोगों के गलत बिल आए हुए हैं। जिन लोगों को लगता है कि गलत बिल आए हुए हैं, उनको पानी का बिल जमा करने की जरूरत नहीं है। पानी के बिल को ठीक करने की योजना जल्द लेकर आ रहे हैं और ऐसे सारे गलत बिल माफ हो जाएंगे।
अगले साल फरवरी में स्कूल बनकर तैयार हो जाएगा और अप्रैल से दाखिला शुरू हो जाएगा- आतिशी
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि पालम इलाके के बच्चों के लिए एक भी स्कूल की बिल्डिंग नहीं थी। आज हम यहां एक शानदार स्कूल बिल्डिंग की नींव रख रहे हैं, जो 12 महीने से भी कम समय में बन जाएगी और फरवरी महीने में ही सीएम अरविंद केजरीवाल इसका उद्घाटन करने आएंगे। अप्रैल 2025 से महावीर एन्क्लेव और आस-पास के बच्चे इस शानदार नए स्कूल में एडमिशन ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पिछले 9 सालों में दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति आई है। इससे पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों का बहुत बुरा हाल होता था। सरकारी स्कूल की बिल्डिंग टूटी फूटी होती थी, टॉयलेट से बदबू आती थी, टेबल-कुर्सी नहीं होती थी और बच्चे टाट-पट्टी पर बैठा करते थे। खिड़कियां, लाइट और पंखे टूटे होते थे, पीने का साफ पानी नहीं होता था। सरकारी स्कूलों में गरीब आदमी मजबूरी में अपने बच्चों को भेजता था। जिसके पास थोड़े भी पैसे होते थे वो अपना पेट काटकर अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेजता था।
पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं था, इसलिए 50 फीसद बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ देते थे- आतिशी
शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा तीन साल की उम्र से जब बच्चा स्कूल में दाखिला लेता था, तभी उसका भविष्य तय हो जाता था। अगर किसी बच्चे के मां-बाप के पास किसी बड़े प्राइवेट स्कूल की फीस देने के पैसे होते तो उस बच्चे का तीन साल की उम्र में ही अच्छा भविष्य तय हो जाता था, क्योंकि वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ेगा। फिर किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला लेगा और अच्छी नौकरी या बिजनेस करेगा। वहीं, जिसके मां- बाप के पास पैसे नहीं थे और वो मजबूरी में अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में भेजते थे। उस समय के आंकड़े बताते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे 12वीं से पहले पढ़ाई छोड़ देते थे। क्योंकि तब सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं था। इसलिए पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चों को अच्छी नौकरी भी नहीं मिलती थी। फिर वो छोटे-मोटे काम करने के लिए मजबूर होते थे। उन्होंने कहा कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है, लेकिन हर बच्चे को बराबर का अवसर मिलना जरूरी है। अगर उस बच्चे को अच्छी शिक्षा मिली होती तो शायद वो भी मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी पोस्ट पर काम कर रहा होता या फिर अपना बिजनेस चला रहा होता।
पिछले 10 सालों में सरकारी स्कूलों का काया पलट हो गया, हर हफ्ते किसी न किसी स्कूल का उद्घाटन या शिलान्यास हो रहा है- आतिशी
शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्लीवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री मिला है, जिसने आपके बच्चों के हाथ की लकीरों को बदल डाला है। सरकारी स्कूल में विश्वस्तरीय सुविधाएं देकर आपके बच्चों का भविष्य बदल डाला है। पिछले 10 सालों में सरकारी स्कूलों का काया पलट हो गया है। पूरी दिल्ली में नए-नए स्कूल बन रहे हैं। पिछले एक हफ्ते से सीएम अरविंद केजरीवाल रोज किसी न किसी स्कूल का शिलान्यास या उद्घाटन कर रहे हैं। सरकारी स्कूलों के टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा गया। उन्होंने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि अमीर-गरीब सभी बच्चों को एक समान और अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। पिछले 9 साल की मेहनत का नतीजा अब हमारे सरकारी स्कूल दिखाई दे रहा है। हमारे स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 7 साल से लगातार सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं। सरकारी स्कूलों से हर साल एक हजार से ज्यादा बच्चे जेईई और नीट क्लीयर कर देश के नामी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ले रहे हैं। पिछले कुछ सालों में तीन लाख से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल से अपना नाम कटवाकर सरकारी स्कूल में दाखिला लिया है। यही अरविंद केजरीवाल की शिक्षा क्रांति है। पहले प्राइवेट स्कूलों में दाखिले के लिए लाइन लगती थी, आज स्कूल ऑफ स्पेशिलाइज्ड एक्सीलेंस में दाखिले के लिए लाइन लगती है।
सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा यह सरकारी स्कूल
दिल्ली के पालम स्थित द्वारका सेक्टर एक में यह शानदार स्कूल बनाया जाएगा। इसकी बिल्डिंग भूत के अलावा तीन मंजिला होगी। जुलाई 2007 में डीडीए द्वारा शिक्षा निदेशालय को यह जमीन आवंटित की गई थी। ये स्कूल फरवरी 2025 तक बन कर तैयार हो जाएगा। यह स्कूल 4000.203 वर्ग मीटर यानि लगभग एक एकड़ में बनेगा। इसमें 80 बड़े कमरे बनाए जाएंगे। जिसमें ग्रीन बोर्ड और फर्नीचर के साथ 50 क्लासरूम होंगे। स्कूल में 9 लैब, 2 लाइब्रेरी, ऑफिस, स्टाफ रूम और एक्टिविटी रूम बनाए जाएंगे। इसके अलावा हर फ्लोर पर टॉयलेट ब्लॉक और एक लिफट होगी। यहां 150 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक एयर कंडीशंड मल्टी पर्पज हॉल भी बनाया जाएगा। साथ ही बच्चों के खेलने के लिए बास्केटबॉल कोर्ट और इन्डोर गेम की भी सुविधाएं होंगी।
पालम इलाके में अभी तीन स्कूल हो रहे संचालित
पालम इलाके में इस समय सरकारी स्कूल के दो भवन हैं, जिसमें तीन स्कूल अलग-अलग पाली में चलते हैं। इसमें एसकेवी और एसबीवी विजय एन्क्लेव में 4,249 और द्वारका सेक्टर 2 के गवर्नमेंट कोएड एसएसएस में 2,900 छात्र पढ़ रहे हैं। कुल मिलाकर इन तीन स्कूलों में 7,149 बच्चे पढ़ रहे हैं। इसमें से केवल गवर्नमेंट कोएड एसएसएस में ही साइंस स्ट्रीम की सुविधा है। दिल्ली सरकार द्वारा बनाई जा रही इस नई बिल्डिंग में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स तीनों पढ़ाया जाएगा।
नई स्कूल बिल्डिंग बनने से मौजूदा स्कूल पर बोझ कम होगा
इस नई स्कूल बिल्डिंग के बनने के बाद इस वक्त जिन दो बिल्डिंग्स में तीन स्कूलों का संचालन हो रहा है उनका बोझ कम हो जाएगा और छात्र-कक्षा अनुपात में भी सुधार होगा। इसका प्रभाव दक्षिण पश्चिम दिल्ली के पालम इलाके में महावीर एन्क्लेव, विजय एन्क्लेव और सीतापुरी क्षेत्रों जैसे इलाकों तक होगा और यहां रहने वाले बच्चों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इस घनी आबादी वाले इलाके से बड़ी संख्या में बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। मौजूदा दोनों स्कूलों में से किसी में भी मल्टी परपज हॉल नहीं है। इस नए स्कूल का संचालन शुरू होने से इसकी कमी खत्म हो जाएगी।