दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति द्वारा मनमाने तरीके से की जा रही नियुक्तियों और बड़ी संख्या में एडहॉक शिक्षकों को हटाने के विरोध में आम आदमी पार्टी शिक्षक विंग (एएडीटीए) 8 जून को यूनिवर्सिटी परिसर में भूख हड़ताल करेगा। एएडीटीए के राष्ट्रीय संयोजक आदित्य मिश्रा ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि डीयू में बहुत सारे शिक्षक ऐसे हैं जो 15 से 20 साल से पढ़ा रहे हैं। कई टॉपर हैं तो कई गोल्ड मेडलिस्ट हैं, उन्हें भी हटा दिया गया है और उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। कुलपति इंसानियत और शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। हम इसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। वहीं, विधायक संजीव झा ने कहा कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीयू के कुलपति को गवर्निंग बॉडी बनाने के लिए चिट्ठी लिखी थी और बिना गवर्निंग बॉडी के कोई भी नियुक्ति नहीं करने को कहा था। इसके बाद भी नियुक्ति की जा रही है और 75-80 फीसद एडहॉक शिक्षकों को हटा दिया गया है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधायक संजीव झा और आम आदमी पार्टी शिक्षक विंग के राष्ट्रीय संयोजक आदित्य नारायण मिश्रा ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के रवैए के कारण यूनिवर्सिटी का नुकसान हो रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी का कामकाज गवर्निंग बॉडी के जरिए होता है। गवर्निंग बॉडी के गठन के लिए दिल्ली सरकार पांच लोगों का नाम मनोनीत करती है। इन्हें कार्यकारी परिषद में मंजूरी मिलती है और फिर गवर्निंग बॉडी बनती है। हर कॉलेज के गवर्नेंस की जिम्मेदारी गवर्निंग बॉडी की होती है। किसी तरह की नियुक्ति या कोई फैसला बिना गवर्निंग बॉडी और चेयरमैन के नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि करीब डेढ़ साल से दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित किसी भी कॉलेज में गवर्निंग बॉडी नहीं है। इसको लेकर दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर को लगातार चिट्ठी लिखकर जल्द से जल्द गवर्निंग बॉडी के गठन की मांग की थी, ताकि कॉलेजों में ठीक से कामकाज हो सके। कार्यकारी परिषद का इंस्टीट्यूट ये कहता है कि बिना गवर्निंग बॉडी के कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। शिक्षा मंत्री ने चिट्ठी में लिखा था कि पूर्ण गवर्निंग बॉडी बनने से पहले कोई नियुक्ति न की जाए। इसके बावजूद वाइस चांसलर मनमाने तरीके से दिल्ली यूनिवर्सिटी में नियुक्तियां करा रहे हैं। तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा था कि अगर पूर्ण गवर्निंग बॉडी बन जाती है तो भी कॉलेजों के एडहॉक शिक्षकों की पहले नियुक्ति की जाए। इसके बाद रिक्त सीटों पर नई नियुक्ति की जाए। लेकिन देखा जा रहा है कि 75-80 फीसद तक एडहॉक टीचर को हटा दिया गया है। अब समझ में आ रहा है कि वाइस चांसलर ने गवर्निंग बॉडी क्यों नहीं बनने दी। वो चाह रहे थे कि डीयू में पढ़ा रहे शिक्षकों का बड़ी संख्या में स्थानांतरण हो। अगर गवर्निंग बॉडी और चेयरमैन होते तो इतनी तादात में शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं होता।
विधायक संजीव झा ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने अपनी मनमानी के कारण बिना गवर्निंग बॉडी के नियुक्तियां कराई। इसका परिणाम यह रहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने आत्महत्या कर ली। उसको स्थानांतरित कर दिया गया था। मेरा मानना है कि ये आत्महत्या नहीं है, बल्कि ये संस्थागत हत्या है। वीसी के मनमाना रवैए के कारण प्रोफेसर को मजबूर होकर आत्महत्या करना पड़ी। ऐसे कई और प्रोफेसर भी परेशान हैं। इसकी पूरी लिस्ट बनी हुई हैं जिसमें ऐसे प्रोफेसर शामिल हैं जो गोल्ड मेडलिस्ट हैं और 15-20 वर्षों से कॉलेजों में पढ़ाते आ रहे हैं। इसमें ऐसे भी प्रोफेसर शामिल हैं जो नासा से पढ़ाकर यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी आए थे, आज यह सभी पीड़ित प्रोफेसर जिंदा लाश बनकर रह गए हैं और अवसाद में हैं। ऐसी स्थिति में कब वो इस तरह का कदम न उठा लें इसकी कोई गारंटी नहीं ले सकता है। मैं डीयू के वाइस चांसलर से यह पूछना चाहता हूं कि वह इस तरह की और कितनी संस्थागत हत्याएं देखना चाहते हैं? हमारी यह मांग है कि तुरंत पूर्ण गवर्निंग बॉडी बनाई जाए, क्योंकि बिना गवर्निंग बॉडी के शिक्षकों की नियुक्तियां हो रही हैं जोकि डीयू के कार्यकारी परिषद के इंस्टीट्यूट के विरुद्ध है। हमारी दूसरी मांग है कि एडहॉक शिक्षकों के स्थानांतरण को तुरंत रोका जाए। जितने भी प्रोफेसरों को स्थानांतरित किया गया है उन्हें तुरंत समायोजित किया जाए, क्योंकि ये डीयू की कार्यप्रणाली और सिलेबस से अच्छी तरह से परिचित हैं। उनसे अच्छा कोई प्रोफेसर नहीं हो सकता है। ये कई वर्षों से यूनिवर्सिटी में पढ़ाते आ रहे हैं।
वहीं, आम आदमी पार्टी शिक्षक विंग के राष्ट्रीय संयोजक आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि डीयू में हालात बहुत खराब है। डीयू में करीब 5 से 6 हजार एडहॉक शिक्षक काम कर रहे थे। बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद शिक्षकों को स्थाई करने के लिए चल रहे इंटरव्यू रुकवा दिए। इस तरह डीयू में 20-25 साल तक नौकरी करने वाले शिक्षकों को ड्यूटी से हटा दिया गया। अब वह कैसे अपना गुजारा करें, घर का किराया और बच्चों की फीस भरेंगे, उनके सामने रोजी-रोटी चलाने का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने अपने जीवन में सिर्फ पढ़ाई की और पूरी श्रद्धा से दिल्ली विश्वविद्यालय में काम किया और आज उन्हें डीयू ने नौकरी से हटा दिया है। इतनी ही अब इन्होंने डीयू में एडहॉक की पोस्ट ही हटा दी हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कई बार डीयू के वीसी को चिट्ठी लिखकर गवर्निंग बॉडी बनाने की बात कही, लेकिन इन्होंने गवर्निंग बॉडी नहीं बनने दी। क्योंकि गवर्निंग बॉडी आएगी तो वह एडहॉक शिक्षकों के समायोजन की बात कहेगी। मगर यह लोग बाहर से आने वाली लिस्ट को लागू करते हैं। यानी चाहे कोई 20-25 साल काम करे उसे तो हटना ही होगा। जबकि इन एडहॉक शिक्षकों में कई सारे गरीब और दलित समाज से लोग आते हैं जिन्होंने कई तकलीफें झेलकर शिक्षा प्राप्त की और फिर डीयू में पढ़ाना शुरू किया, आज उन सभी को बेघर कर दिया गया है। जिन लोगों ने लोन पर घर लिया था, पैसे न देने पर बैंक ने उनके घरों में ताला लगा दिया है। यह जो मानवीय समस्या खड़ी हुई है इसे तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने पहले ही बता दिया था और कहा था कि हम इस स्थानांतरण को नहीं मानते हैं। जिस तरह से पंजाब में सभी एडहॉक शिक्षकों को समायोजित किया था वैसे ही दिल्ली में किया जाना था। पंजाब का मॉडल यहां भी अपनाया जाना था।
आदित्य मिश्रा कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि दो पत्र लिखने के बाद भी उनके कान में जू नहीं रेगी। इस बीच कई बार कार्यकारी परिषद की बैठक भी हो चुकी है। 21 सदस्यों की कार्यकारी परिषद में दो महत्वपूर्ण पद हमारे पास हैं। हमारे लोग एडहॉक शिक्षकों के हटाए जाने के खिलाफ विरोध को जारी रखे हुए हैं वह कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद में कुर्सी पर नहीं फर्श पर बैठते हैं। मगर इन लोगों को शर्म नहीं है। हम चाहते हैं कि जो लोग काम करते हैं उनकी इज्जत हो। यह दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (डूटा) जनरल बॉडी का भी प्रस्ताव था लेकिन बहुत शर्म की बात है कि जिनको इस स्थानांतरण का विरोध करना चाहिए था वो भी इसमें शामिल हो गए हैं, अब कोई भी सुनने वाला नहीं है। एक शिक्षक होने के नाते में आत्महत्या का समर्थन नहीं करता हूं लेकिन आज जिस तरह से इन शिक्षकों की परिस्थिति बन गई है, इसे हम आत्महत्या नहीं संस्थागत हत्या कह रहे हैं। नौकरी से निकाले गए एडहॉक शिक्षक आज जिंदा लाश में तब्दील हो चुके हैं। शिक्षकों की ऐसी स्थिति को विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी शिक्षक विंग 8 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रांगण में भूख हड़ताल करेंगी। हम पहले भी भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। एडहॉक शिक्षक की आत्महत्या के बाद हमने एक शोक सभा की थी। “आप” शिक्षक विंग की मांग है कि यह जो अमानवीय कार्य हो रहा है इसके ऊपर लगाम लगे। वाइस चांसलर और डीयू प्रशासन कम से कम इंसानियत को देखें और शिक्षकों के बारे में सोचे। हम इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ेंगे। आगामी कार्यकारी परिषद की बैठक में डीयू कार्यकारी सदस्य डॉ सीमा दास और राजपाल सिंह पवार भी इस मुद्दे को उठाएंगे।