आम आदमी पार्टी ने सीबीआई द्वारा मीडिया में झूठी खबर फैलाने पर उसे आड़े हाथ लिया है। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के मामले में बुधवार को सुनाई के दौरान भरी अदालत में जज ने सीबीआई का सफेद झूठ पकड लिया। सीबीआई ने झूठ फैलाया कि तथाकथित शराब मामले में केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया पर सारा आरोप लगा दिया है और इस केस से अपना पल्ला झाड़ लिया है। जब केजरीवाल ने सीबीआई के इस झूठे बयान पर आपत्ति जताई तो कोर्ट ने खुद उनके बयान को पढ़ा और स्पष्ट कहा कि सीबीआई झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की जमानत पर लगी हाईकोर्ट की रोक सुप्रीम कोर्ट से हटने वाली थी। इसी बीच पिछले दो साल से सो रही सीबीआई नींद से जागी और उनको गिरफ्तार कर लिया। जबकि 16 अप्रैल 2023 को सीबीआई ने केजरीवाल से गवाह के तौर पर बुलाया था। इन 14 महीनों में उसे केजरीवाल को आरोपी बनाने की याद क्यों नहीं आई? सच यह है कि भाजपा चाहती है कि केजरीवाल को किसी भी तरह जेल में रखना है। इसीलिए वो एक के बाद एक फर्जी मुकदमें लगवा रही है।
पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि सीबीआई ने आज कोर्ट में झूठ फैलाया कि तथाकथित शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया का नाम लिक्षा है। कोर्ट में मौजूद अरविंद केजरीवाल द्वारा सीबीआई के इस झूठ पर आपत्ति जताने के बाद जज ने उनके बयान की कॉपी देखी। अरविंद केजरीवाल का बयान पढ़ने के बाद जज ने यह माना कि सीबीआई गलत बोल रही है, केजरीवाल ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। यह लोग हमारे खिलाफ दुर्भावना से काम कर रहे हैं। यह भाजपा सरकार के इशारे पर हमारे खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत काम कर रहे हैं। इसलिए इनके द्वारा कही गई बातों को पुष्टि करना मीडिया की भी जिम्मेदारी है, वरना यह घटना बार-बार दोहराई जाएगी।
संजय सिंह ने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि सीबीआई और ईडी जैसी प्रतिष्ठित जांच एजेंसियां पिछले दो साल से दिल्ली के तथाकथित शराब घोटाले की जांच कर रही हैं। लेकिन अबतक इनकी जांच पूरी नहीं हुई। इस दौरान 50 हजार पन्ने की चार्जशीट दाखिल किए, 464 गवाह बना दिए। जो कागजात अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को बेगुनाह बताते हैं, उन कागजातों को सीबीआई और ईडी ने गैर-भरोसेमंद बताकर कोर्ट से छिपाया। ये किस तरह की जांच है? जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड का मामला सामने आया और सरथ चंद्र रेड्डी द्वारा भाजपा को 60 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का खुलासा हुआ था, उसी दिन अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी कर लिया गया। ईडी-सीबीआई के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए आदेश में स्पष्ट लिखा कि अरविंद केजरीवाल से समाज को कोई खतरा नहीं है, उनका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। जनमात की अवधि समाप्त होने पर न्यायालय का सम्मान करते हुए वह जेल चले गए। लेकिन जब ट्रायल कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी तो सारे नियमों को ताक पर रखते हुए बगैर आदेश की कॉपी के प्रधानमंत्री मोदी की ईडी ने हाई कोर्ट में जाकर जमानत पर स्टे ले लिया। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में साफ-साफ कहा है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई मनी ट्रेल नहीं मिला है, गोवा चुनाव में पैसे के इस्तेमाल का कोई प्रमाण नहीं। ट्रायल कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए अपने आदेश में कहा कि ईडी अरविंद केजरीवाल के मामले में पूर्वाग्रह से ग्रसित है। वह दुर्भावना से काम कर रही है। हम सब जानते हैं कि पीएमएलए के तहत जमानत लेना कितना मुश्किल होता है। पीएमएलए में जब पूरी तरह इस बात से संतुष्ट हुआ जाता है कि यह व्यक्ति निर्दाेष है, तब उसको जमानत दी जाती है। इसका मतलब ईडी की सारी दलील सुनने के बाद जब जज को यकीन हो गया कि अरविंद केजरीवाल निर्दाेष हैं, तब जाकर उनको जमानत मिली। लेकिन ईडी बिना कोर्ट का लिखित आदेश आए जमानत पर स्टे लेने के लिए हाई कोर्ट चली गई। इसके बाद हम इस केस को सुप्रीम कोर्ट लेकर गए।
संजय सिंह ने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल की जमानत पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट हटाने वाली था, तभी 2 साल से सो रही सीबीआई की नींद से जागी। इससे पहले सीबीआई ने 16 अप्रैल 2023 को पहली बार अरविंद केजरीवाल को गवाह के तौर पर पूछताछ के लिए बुलाया था। अगर अरविंद केजरीवाल आरोपी थे, तो क्या इन 14 महीनों में सीबीआई को उन्हें आरोपी बनाने की याद नहीं आई? क्या सीबीआई को इतने समय तक अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की याद नहीं आई? यानी अब जब ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए जमानत के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक हटने और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने की पूरी संभावना है, उस समय सीबीआई जागी है। सीबीआई पिछले 14 महीने से सोती रही। सीबीआई के पास कोई सबूत नहीं है और वह हवा हवाई बातें कह रही है। वह कोर्ट में कहती है कि उनके पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मगुंटा रेड्डी द्वारा जनवरी 2024 में दिया गया बयान है, जबकि मगुंटा रेड्डी का वही बयान ईडी के पास जुलाई 2023 में दर्ज हो चुका है।
संजय सिंह ने कहा कि मनीष सिसोदिया के मामले में जब ईडी और सीबीआई मिलकर सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रही थी, उस समय भी ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मगुंटा रेड्डी का यह बयान रखा था। उस समय सीबीआई क्या कर रही थी? सीबीआई कह रही है कि मगुंटा रेड्डी ने जनवरी 2024 में बयान दिया है, जबकि मगुंटा रेड्डी ने इससे पहले कई अलग-अलग बयान दिए हैं। इससे पहले मगुंटा रेड्डी ने यह भी बयान दिया था कि अरविंद केजरीवाल का आबकारी नीति से कोई लेना-देना नहीं है और वह केवल थोड़ी देर के लिए उनसे मिला था। अगर मगुंटा रेड्डी ने जनवरी 2024 में बयान दिया है, तो ईडी पिछले 5 महीने से क्या कर रही थी? उसे तब होश आया जब ट्रायल कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को निर्दाेष मानते हुए उन्हें जमानत दे दी। भाजपा चाहती है कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह से जेल में रखना है, इसके लिए एक के बाद एक फर्जी मुकदमे लगा रही है।
संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर बिना किसी सबूत के झूठे और बेबुनियाद मुकदमे में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि वे इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों से बातचीत करके इस मामले को लोकसभा में उठाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने इंडिया गठबंधन के सभी दलों से आग्रह किया कि वे अरविंद केजरीवाल की अवैध गिरफ्तारी और ईडी द्वारा नियमों के विरुद्ध जाकर उनकी जमानत को रोकने के मामले को देश की संसद में उठाएं।