कोर्ट में AAP विधायक के ख़िलाफ़ आरोप एक सेकेंड भी नहीं टिक पाए: अतिशी मार्लेना
AAP विधायक प्रकाश जारवाल के ख़िलाफ़ बेबुनियाद FIR
पार्टी कार्यालय में आयोजित हुई प्रैस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए पार्टी की वरिष्ठ नेता और पीएसी सदस्य अतिशी मार्लेना ने कहा कि ‘आम आदमी पार्टी के विधायकों के ख़िलाफ़ भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर दिल्ली पुलिस द्वारा झूठे मुकदमा करने सिलसिला लगातार जारी है जिसमें हाल ही में देवली से हमारे विधायक प्रकाश जारवाल के ख़िलाफ़ एक बीजेपी की महिला कार्यकर्ता ने झूठे आरोप लगाए और पुलिस ने ग़लत तरीक़े से आईपीसी की धारा 354 के तहत मुकदमा किया। इस धारा को कोर्ट ने खारिज कर दिया और एक बार फिर से यह साबित हो गया कि पुलिस का इस्तेमाल हमारे ख़िलाफ़ राजनीतिक षडयंत्र के तहत किया जा रहा है। और यह पहली बार नहीं बल्कि ये सब हमारे अलग-अलग विधायकों के ख़िलाफ़ बार-बार किया जाता है। प्रकाश जारवाल के मामले को समझिए
- पुलिस ने जानबूझकर प्रकाश पर धारा 354 आईपीसी थोपी
- एक बार फिर से यह धारा और इस तरह के आरोप अदालत में एक सेकेंड के लिए भी नहीं टिक पाए
- प्रकाश को मिली जमानत पर कोर्ट के आदेश स्पष्ट संदेश हैं कि आरोप बेबुनियाद थे
- कितनी बार ऐसा हुआ है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों के ख़िलाफ़ एफआईआर में पुलिस द्वारा ज़बरदस्ती गलत धाराएं थोपी गईं और कोर्ट में कुछ घंटों के भीतर ही उन आरोपों और धाराओं को कोर्ट ने रद्द किया है?
- हमारा सवाल है कि प्रकाश और उनके परिवार को जो पीड़ा मिली है उसके लिए अब कौन माफी मांगेगा?
- आम आदमी पार्टी विधायक के विरुध्द छेड़छाड़ के लिए झूठी शिकायत दर्ज की गई, क्या इस तरह से विधायक को बदनाम करना उचित था?
- जिस तरह से आम आदमी पार्टी के विधायकों के ख़िलाफ़ झूठे मुकदमे किए जा रहे हैं उससे पार्टी कतई झुकने और टूटने वाली नहीं है। हम इसके ख़िलाफ़ मुखरता से बोलते रहेंगे।
आप विधायकों के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में गलत एफ़िडेविट दर्ज़ कराया गया जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया
पिछले महीने जिन 2 लोगों ने दिल्ली विधानसभा में घुसकर सदन को बाधित करने की कोशिश की थी उन दोनों लोगों को सदन ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए सज़ा सुनाई थी, इस मामले को लेकर कोर्ट में सज़ा पाए दोनों लोगों ने आम आदमी पार्टी के 10 विधायकों के ख़िलाफ़ पीटने का आरोप लगाते हुए हलफ़नामा दिया था जिसे कोर्ट ने विचार के लायक भी नहीं समझा
- आप विधायकों को बदनाम करने के लिए मीडिया में एक मामूली से हलफनामे को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जाता है जबकि उसी हलफ़नामे को माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने विचार करने लायक भी नहीं समझा।
- इस हलफ़नामे का एकमात्र मकसद पिछले महीने विधानसभा की घटना के बारे में झूठे आरोप लगाकर 10 आप विधायकों को अपमान करने का था।
- माननीय न्यायालय ने उस हलफनामे का संज्ञान ही नहीं लिया जिसमें 10 विधायकों के नामों को शामिल किया गया था?
- क्या निर्वाचित प्रतिनिधियों के नाम को बिना किसी आधार के विवादों में खींचना उचित है?
- आम आदमी पार्टी के खिलाफ इस दुर्भावनापूर्ण प्रचार को रोकने के लिए पार्टी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
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