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पार्टी मुख्यालय में हुई एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि कल ट्रायल कोर्ट द्वारा अरविंद केजरीवाल जी की जमानत के मामले में एक आदेश पारित किया गया और इस आदेश ने ईडी के तथाकथित शराब घोटाले के पूरे मामले की धज्जियां उड़ा कर रख दी I पिछले 2 साल से केंद्र सरकार जो जांच का ढोंग कर रही थी, वह इस आदेश ने पूरा का पूरा मामला ही खत्म कर दिया I उन्होंने कहा कि इस आदेश में साफ तौर से यह बात कही गई है, कि ईडी की तरफ से एक भी ऐसा साक्ष्य आज तक प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे कि यह साबित हो, कि इस तथाकथित शराब घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी की कोई भूमिका है I जज साहिबा ने अपने आदेश में यह भी कहा है, कि जब तक ईडी की जांच चलती रहेगी तब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी जेल में रहेंगे यह न्यायसंगत नहीं है I

ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी पहले दिन से इस बात को कहती आ रही है, कि कोई सबूत नहीं है I कुछ लोगों को डरा धमका कर, लालच देकर गलत बयान लिए गए और उन बयानों के आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को फसाने की कोशिश की जा रही है I आखिरकार कोर्ट ने भी इस बात को अब स्वीकार किया है I इस बिंदु को विस्तार पूर्वक पत्रकारों को समझाते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि जब कोर्ट में ईडी के वकील ने कहा कि हमें गवाही लेने के लिए गवाह को कोई ना कोई लॉलीपॉप या लालच तो देना ही पड़ता है और जांच करने का यह तरीका एक कला है, तो कोर्ट ने ईडी के वकील की इस बात पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि आपकी यह कला मुझे हजम नहीं हुई I जज साहिबा ने कहा कि ऐसे तो कोई भी कलाकार इस कला के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को जेल में डाल सकता है I कोर्ट ने कहा है, कि किसी भी आदमी को डर दिखाकर या लालच देकर किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ लिए गए बयान के आधार पर किसी व्यक्ति को जेल में डाल देना यह कानून संगत नहीं है I

सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों को बताया कि ईडी हर बार अदालत के समक्ष एक बात कहती है, कि हमें इस मामले में एक दोषी व्यक्ति और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के बीच हुई चैट मिली है, जो सबूत के तौर पर हमारे पास है I इस संबंध में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि उस चैट में केवल इतना ही लिखा है, कि उस व्यक्ति ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने उसे बदले में धन्यवाद कहा था I उन्होंने कहा कि ऐसे तो हजारों लोग मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हैं और मुख्यमंत्री उन्हें धन्यवाद भी करते हैं I इस बात पर भी कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए अपने आदेश में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति दोषी भी है और उसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अगर जानते भी हैं, तो इससे यह कैसे साबित होता है कि इस तथा कथित शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी की कोई भूमिका है I कोर्ट ने कहा उसके लिए ईडी को उनकी भूमिका होने के साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत करने होंगे I

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का नाम न तो सीबीआई की FIR में है और न ही ईडी की FIR में है और न ही आज तक अदालत ने उन्हें इस मामले में तलब किया है I उन्होंने कहा कि जो भी साक्ष्य ईडी कोर्ट में प्रस्तुत कर रही है वह सभी चीज पिछले 1 साल से ईडी के पास थी, तो पिछले 1 साल से ईडी किस बात का इंतजार कर रही थी I उन्होंने कहा कि कोर्ट ने ईडी के वकीलों द्वारा दी गई सभी दलीलें तफ़सील से सुनी, उन्हें पर्याप्त समय दिया और सभी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को इस मामले में जमानत दी I उन्होंने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को जमानत देना इसलिए भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि पीएमएलए एक्ट की धारा 45 इस बात को कहती है, कि यदि सरकारी वकील किसी जमानत का विरोध करें और कोर्ट सरकारी वकील की सभी दलीलें सुनी और सभी दलीलें सुनने के बावजूद कोर्ट इस बात पर सहमत होता है, कि मामले में आरोपी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता तभी कोर्ट आरोपी व्यक्ति को जमानत देती है I उन्होंने कहा कि इस बात से यह साबित हो जाता है, कि कोर्ट ने इस बात को मना है कि इस मामले के तहत ईडी ने कोर्ट के समक्ष जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किया उसके आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है I

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश ने ईडी के पूरे के पूरे मामले की धज्जियां उड़ा दी, इसीलिए आनन फानन में ईडी के वकील सुबह-सुबह उच्च न्यायालय पहुंच गए I उन्होंने यह भी कहा कि मैं बेहद ही हैरान हूं कि जिस मामले में अभी तक ट्रायल कोर्ट का आदेश जारी भी नहीं हुआ था, उस ऑर्डर पर उच्च न्यायालय ने कैसे स्टे लगा दिया I उन्होंने कहा कि शायद कानून के इतिहास में यह अपने आप में पहला ऐसा मामला होगा जिसमें आर्डर जारी होने से पहले ही ऑर्डर पर उच्च न्यायालय द्वारा स्टे लगा दिया गया I

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