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आम आदमी पार्टी ने केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा पर करारा हमला बोला। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी का अध्यादेश बाबा साहब डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखे संविधान और संघीय ढांचे को खत्म करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की कार्रवाई है। आज देश में एक तानशाही शासन है, जो तुगलकी फरमान से कोई भी आदेश पलट सकती है। देश के लोकतंत्र, संघीय ढांचे और संविधान को बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल सभी विपक्षी दलों से मुलाकात कर उनका समर्थन मांगेंगे। वे 23 मई को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, 24 को उद्धव ठाकरे और 25 मई को शरद पवार से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि यह ‘‘आप’’ का सवाल नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र और संघीय ढांचे का सवाल है। इसमें सभी पार्टियों को एकजुटता दिखानी होगी। जब यह अध्यादेश बिल के रूप में राज्यसभा में आए तो इसे गिराना होगा, क्योंकि भाजपा के पास राज्यसभा में नंबर नहीं है।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने को लेकर की जा रही पहल को लेकर पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता की। इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री एवं राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक, वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी भी मौजूद रहे। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पारित किया गया अध्यादेश भारत के लोकतंत्र का गला घोंटने की कार्रवाई है। यह अध्यादेश भारत के संघीय ढांचे को समाप्त करने, बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान को खत्म करने और सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों के फैसले को पलटने की कार्रवाई है। इससे साफ हो गया है कि भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी देश के संविधान, लोकतंत्र, संघीय ढांचे और सर्वोच्च न्यायालय को मानते हैं। देश कोई संस्था नहीं बची है, जिसे पीएम मानते हैं। इसका साफ मतलब है कि अब देश में तानाशाही शासन है। तुगलकी फरमान से कोई भी आदेश बदला जा सकता है और कोई भी आदेश दिया जा सकता है।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि 25 साल से दिल्ली में भाजपा बुरी तरह से हार रही है। भाजपा दिल्ली की सत्ता पाने के लिए बेहद व्याकुल है और तड़प रही है। भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में चल रही दिल्ली की लोकप्रिय सरकार को रोकने और केजरीवाल की लोकप्रियता को खत्म करने के काम में अपनी उर्जा लगा रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार लोगों को फ्री बिजली, पानी, शिक्षा, इलाज देती है। साथ ही बुजुर्गों को फ्री तीर्थ यात्रा कराती है, विधवाओं को पेंशन देती है और माताओं-बहनों के लिए बस की यात्रा फ्री करती है।

उन्होंने कहा कि केंद्र का यह अध्यादेश अलोकतांत्रिक और भारत के संघीय ढांचे को खत्म करने वाला है। भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को बचाने के लिए ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल देश के सभी विपक्षी नेताओं से संपर्क करेंगे। सभी राजनीतिक दलों से मुलाकात करेंगे। राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है। सीएम अरविंद केजरीवाल सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करके इस काले बिल को राज्यसभा में गिराने का काम करेंगे। इसी क्रम में सीएम अरविंद केजरीवाल मंगलवार (23 मई) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे। 24 मई को शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे और 25 मई को एनसीपी राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात करेंगे। 20 मई को अरविंद केजरीवाल ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी।

राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सबके सामने एक ही विषय रख रहे हैं कि अगर हमें भारत के लोकतंत्र, बाबा साहब द्वारा लिखे गए संविधान, संघीय ढांचे और सुप्रीम कोर्ट को बचाना है तो जब यह अध्यादेश बिल के स्वरूप में राज्यसभा में आएगा तब सारे विपक्ष को एकजुट उसे गिराना होगा। यह 2024 के लोकसभा चुनाव और विपक्षी एकता का भी सेमी फाइनल होगा। क्या सारा विपक्ष को भाजपा को पराजित करने के लिए एकजुट है या नहीं है, इसकी एक बड़ी अग्नि परीक्षा राज्यसभा में होगी, जब ये अध्यादेश एक बिल के रूप में आएगा। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल देश के सभी विपक्षी नेताओं से आने वाले दिनों में मिलेंगे और सबको एकजुट कर इस काले कानून को राज्यसभा में गिराने का प्रयास करेंगे।

मीडिया द्वारा कांग्रेस से सहयोग मांगने के सवालों का जवाब देते हुए राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि यह अग्नि परीक्षा की घड़ी है। देश में आपातकाल की स्थिति है। इस अध्यादेश को लेकर भाजपा कह रही है कि अगर किसी दूसरी पार्टी ने सरकार बनी ली तो पहले खरीद-फरोख्त करके उसकी सरकार गिराएंगे। खरीद-फरोख्त में सफल नहीं होने पर ईडी-सीबीआई छोड़ कर गिरफ्तार कराएंगे। अगर इसमें भी सफल नहीं होंगे और आपके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला आ जाता है तो उसको भी बदल देंगे। ऐसे में फिर देश में लोकतंत्र, संविधान और सुप्रीम कोर्ट कहां बचा? इसलिए कांग्रेस को भी यह तय करना होगा कि क्या वो भारत के लोकतंत्र, संघीय ढांचे के पक्ष में खड़ी है या उसके खिलाफ है।

सभी विपक्षी दलों को साथ आना होगा, नहीं तो देश में लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा- आतिशी

इस दौरान वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि यह किसी एक पार्टी का मुद्दा नहीं है और न तो यह सिर्फ दिल्ली का मुद्दा है। यह मुद्दा इस बात का है कि भाजपा जिन राज्यों में चुनाव हारती है, वो किसी न किसी तरह से उस राज्य की ताकत को खत्म करने की कोशिश करती है। चाहे वो विधायकों के खरीद-फरोख्त से हो, चाहे ईडी-सीबीआई छोड़ने से हो, या उपराज्यपाल के कार्यालय का दुरुपयोग करके या फिर असंवैधानिक अध्यादेश लाकर हो, जो देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर देता हो। अगर केंद्र सरकार एक चुनी हुई सरकार की संविधान द्वारा दी गई ताकत को वापस लेने की कोशिश कर सकती है तो दिल्ली तो सिर्फ इसकी शुरूआत है। दिल्ली के बाद ऐसा किसी भी राज्य में हो सकता है। भाजपा ने दिल्ली में एलजी के साथ जो प्रयोग किया, वही प्रयोग पूर्ण राज्यों में राज्यपाल के साथ भी कर रही है। जिस राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां राज्यपाल को इस्तेमाल करके चुनी हुई सरकारों की ताकत छीनने की कोशिश की जा रही है। यह तो सभी विपक्षी दलों को समझना होगा कि यह प्रहार सिर्फ आम आदमी पार्टी या दिल्ली सरकार पर नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र, संघीय ढांचे और देश से भाजपा को छोड़ बाकी सभी पार्टियों को खत्म करने का पहला कदम है। इसलिए सभी विपक्षी दलों को साथ आना पड़ेगा, वरना देश में लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा।

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