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  • जिस तरह से देश के हर नागरिक के खाते में 15 लाख वाली बात जुमला निकली, उसी तरह से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देना भी एक जुमला निकला: गोपाल राय

आज शनिवार को पार्टी कार्यलय में प्रत्रकारो को संबोधित करते हुए श्रम मंत्री एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल राय ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के वक्तव्यों से ये साफ़ ज़ाहिर हो गया है की भाजपा दिल्ली की जनता से पूर्ण राज्य का दर्ज़ा वाले अपने वादे से मुकर रही है! जिस तरह से हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख एक जुमला था, उसी तरह से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा भी भाजपा का एक जुमला साबित हुआ!

भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये बड़े ही आश्चर्य की बात है की कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने के मुद्दे पर भाजपा की ही जुबान बोल रही है! ये दोनों ही पार्टियाँ दिल्ली की जनता के साथ धोखा कर रही हैं!

जब आम आदमी पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था तब से समय-समय पर भाजपा और कॉंग्रेस खेमे से दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की बात और कवायतें चलती रहीं है! उन्होंने कहा कि 18 अगस्त 2003 को गृह मंत्री रहते हुए, श्री लाल कृष्ण आडवानी जी ने संसद में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का प्रस्ताव रखा था! वो प्रस्ताव संसद की कमिटी को दिया गया, जिसके चेयरमैन कांग्रेस पार्टी के नेता प्रणव मुखर्जी थे, और उन्होंने भी माना था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा मिलना चाहिए!इसके बाद भी भाजपा खेमे से भाजपा नेताओ जैसे मदन लाल खुराना, साहेब सिंह वर्मा, विजय मल्होत्रा और डाक्टर हर्षवर्धन द्वारा समय-समय पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की वकालत की जाती रही है! लगातार कांग्रेस और भाजपा के नेताओ ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की वकालत की है!

साल 2014 में वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी के नेतृव में भी भाजपा ने एक बार फिर दिल्ली की जनता को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का वादा किया, और इसी वादे के चलते दिल्ली की जनता ने लोकसभा की सतो सीट पर भाजपा को चुना! लेकिन जीतने के बाद भाजपा अपने वादे से पलट गई और दिल्ली की जनता के साथ विश्वास घात किया!

जब दिल्ली में 15 साल तक कांग्रेस की सरकार थी, तब दिल्ली की तत्काल मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने विधान सभा में दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे का प्रस्ताव रखा था! 2015 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने की बात कही थी! लेकिन आज भाजपा और कॉंग्रेस दोनों ही एक सुर में दिल्ली की जनता को पूर्ण राज्य के दर्जे की बात से पल्टी मरते हुए नज़र आ रहे हैं! इससे एक बात साफ़ ज़ाहिर होती है कि जनता के सामने एक दुसरे को कोसने वाली ये दोनों पार्टियाँ  परदे के पीछे एक दुसरे से मिली हुई हैं!

पत्रकारों के माध्यम से गोपाल राय ने भाजपा और कांग्रेस के लोगो से पांच-पांच सवाल पूछे!

भाजपा से पांच सवाल….

  1. क्या मनोज तिवारी, अटल जी की, आडवानी जी की, मदन लाल खुराना जी की, स्व. साहब सिंह वर्मा जी की, डा. हर्षवर्धन जी की, और विजय मल्होत्रा जी की भाजपा से नाता तोड़ चुके हैं?
  2. क्या उनकी BJP और मनोज तिवारी की BJP अलग-अलग है?
  3. क्या 2014 में मोदी जी के नेतृव में दिल्ली की जनता को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा देने का वादा एक धोखा था?
  4. क्या BJP अपने घोषणा पत्र में बार बार झूठ बोलती रही है, और क्या इस झूठ के लिए भाजपा दिल्ली की जनता से माफ़ी मांगेगी?
  5. क्या भाजपा का राष्ट्रीय नेतृव अपने दिल्ली के अध्यक्ष मनोज तिवारी के यू-टर्न से सहमत हैं?

कांग्रेस से पांच सवाल….

  1. कांग्रेस के नेता श्री राहुल गाँधी ने 4 फरवरी 2015 को दिल्ली की जनता से पूर्ण राज्य बनाने का वादा किया था, क्या वह झूठ था?
  2. कांग्रेस के 2015 के विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र में पूर्ण राज्य का वादा किया गया, जिस समय अजय माकन जी खुद कैम्पेन कमिटी के चयरमैन थे, तो क्या वे उस समय झूठ बोल रहे थे, या अब झूठ बोल रहे है?
  3. दिल्ली कांग्रेस सरकार की पूर्व CM शीला दीक्षित ने विधानसभा में पूर्ण राज्य का प्रस्ताव पारित कर, क्या केंद्र सरकार को भेजा था?
  4. दिल्ली की जनता से कांग्रेस अपने इस झूठ के लिए कब माफ़ी मांगेगी?
  5. अजय माकन की क्या मजबूरी है कि वह बार-बार BJP की भाषा बोल रहे हैं?

आज आम आदमी पार्टी की सरकार के नेतृव में दिल्ली में जो विकास के कार्य हो रहे हैं, अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा मिल जाए तो ये विकास कार्य की रफ़्तार दस गुना ज्यादा बढ़ सकती है! आम आदमी पार्टी मांग करती है कि केंद्र NDMC एरिया की जिम्मेदारी अपने पास रखकर, बाकि दिल्ली की पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार को दे दे, ताकि दिल्ली की जनता के साथ जो सौतेला व्यवहार होता आया है, दिल्ली की जनता उससे निजाद पा सके ।

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sudhir

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