आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति से आपराधिक प्रवृत्ति के विनय कुमार सक्सेना को दिल्ली के एलजी पद से हटाने की मांग की है। ‘‘आप’’ के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह का कहना है कि एलजी विनय सक्सेना महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में दंगा फैलाने के आरोपी हैं और उन्होंने पेशी से बचने के लिए कोर्ट को चिट्ठी लिखकर गुमराह किया है। 2002 से एलजी विनय सक्सेना पर साबरमती आश्रम में दंगा-मारपीट करने का मुकदमा चल रहा है। इसमें वो आरोपी नंबर-4 हैं। कोर्ट ने एलजी विनय सक्सेना को 9 मार्च को पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। इस पर एलजी ने कोर्ट को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि मेरा ओहदा और पद दूसरे राज्यों के राज्यपाल व केंद्र शासित राज्यों के एलजी से भी बड़ा है। इसलिए मुझे कोर्ट में पेशी से छूट दी जाए। उन्होंने कहा कि एलजी शायद गलतफहमी में हैं। अगर उनको छूट होती तो न्यायाधीश को भी ये बात पता होती और वो समन नहीं करते। मैनें राष्ट्रपति से अपील की है कि इस मामले का संज्ञान लेते हुए एलजी विनय सक्सेना को कोर्ट की प्रतिक्रया में शामिल होने का निर्देश दिया जाए।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 21 साल पहले 2002 में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के उपर अहिंसा के प्रतिमूर्ति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में दंगा फैलाने, मारपीट, झगड़ा करने समेत कई धाराओं पर मुकदमा दर्ज हुआ था। एलजी विनय कुमार सक्सेना के उपर यह मुकदमा धारा 143, 147, 321, 341 और 506 के तहत दर्ज हुआ था। आरोप है कि एलजी विनय सक्सेना ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में दंगा फैलाया। इस मुकदमें विनय कुमार सक्सेना आरोपी नंबर चार हैं। कोर्ट ने एलजी विनय सक्सेना को 9 मार्च को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। लेकिन उन्होंने कोर्ट को गुमराह करने के लिए चिट्ठी लिखी है। एलजी पद पर बैठे विनय सक्सेना कोर्ट को गुमराह करने के लिए चिट्ठी लिख रहे हैं, जो बहुत ही गंभीर विषय है। इस मामले को देश के राष्ट्रपति को संज्ञान में लेना चाहिए। अगर एलजी पद पर बैठा एक व्यक्ति कोर्ट को गुमराह कर रहा है, तो उसे अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है।
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा कि एलजी विनय कुमार सक्सेना कोर्ट को लिख रहे हैं कि हमको गवाही के लिए न बुलाया जाए। हम कोर्ट के सामने नहीं आएंगे, क्योंकि मेरा ओहदा और पद दूसरे राज्यों के राज्यपाल और अन्य केंद्र शासित राज्यों के एलजी से भी बड़ा है। मुझे तो लगता है कि अब प्रधानमंत्री मोदी के पद के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। मैं तो अभी तक राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का पद ही सुनता था। लेकिन एलजी विनय सक्सेना कह रहे हैं कि वो ठीक राष्ट्रपति पद के नीचे आते हैं। विनय कुमार सक्सेना कह रहे हैं कि एक राष्ट्रपति का पद है, उसके बाद विनय सक्सेना का वरिष्ठ उपराष्ट्रपति का पद है, फिर उपराष्ट्रपति का पद है, इसके बाद प्रधानमंत्री का पद है। विनय सक्सेना कह रहे हैं कि हम एलजी हैं, हम गवर्नर से बड़े हैं और राष्ट्रपति से थोड़ा नीचे हैं। हमें छूट दी जाए, हम कोर्ट में नहीं आएंगे। विनय सक्सेना इकट्ठे होकर दंगा भड़काने का काम करेंगे, उनके खिलाफ धाराएं लगेंगी, लेकिन मुकदमें कोर्ट के सामने पेश नहीं होंगे? मुझे लगता है कि विनय सक्सेना गलतफहमी में हैं। अगर उनको कोर्ट में बुलाने की छूट होती तो क्या न्यायाधीश को यह बात नहीं पता होती? कोर्ट का एक न्यायाधीश विनय सक्सेना को समन कर रहा है, तो क्या उसको संविधान और कानून के बारे में नहीं पता है? विनय सक्सेना गवर्नर नहीं, बल्कि लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं। जिसे पिछल्लू गवर्नर कहा जाता है। विनय सक्सेना पिछल्लू गवर्नर हैं। राजभवन में रह रहे तो राजा नहीं हो गए हैं। जबकि पूरे-पूरे गवर्नर भी नहीं हैं।
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रपति को इस मामले का अवश्य संज्ञान लेना चाहिए कि कैसे एक व्यक्ति ने 9 मार्च को अपनी पेशी से बचने के लिए एक झूठी चिट्ठी कोर्ट को लिखी है। विनय सक्सेना को निर्देश दिया जाना चाहिए कि 9 मार्च को कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखने के लिए जरूर जाएं। यह बात राष्ट्रपति को सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से अपील करना तो बेकार है। क्योंकि प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के आश्रम में दंगा भड़काने वाले को एलजी बनाते हैं, तो वो उनके खिलाफ कुछ नहीं करेंगे।
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि कुछ दिन एलजी विनय सक्सेना ने मुकेश गोयल को एमसीडी का पीठासीन अधिकारी बनाने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि मुकेश गोयल के उपर एफआईआर दर्ज है। एलजी विनय सक्सेना के खिलाफ तो कई मामलों में एफआईआर दर्ज है। तो वो दिल्ली के एलजी पद पर कैसे बने रह सकते हैं। इनको को तो कोर्ट ने भी समन किया है। विनय सक्सेना को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। मैं राष्ट्रपति से मांग करता हूं कि इस मामले का संज्ञान लें और एलजी विनय सक्सेना को कोर्ट की प्रतिक्रया में शामिल होने का निर्देश दिया जाए। इनके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
वहीं, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता रीना गुप्ता ने कहा कि एलजी विनय सक्सेना बहुत पहुंचे हुए व्यक्ति हैं। दिल्ली के इतिहास में अभी तक एलजी पद पर सेवानिवृत्त आईएएस या आईपीएस अधिकारी रहे हैं, जिनको संविधान की जानकारी हो और संविधान का सम्मान करते हैं, उनको एलजी बनाया जाता है। लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी ने महिला का उत्पीड़न करने के आरोपी को दिल्ली का एलजी बनाया है। जब भी हम अपने घर में कोई नौकर रखते हैं, तो पुलिस से उसका सत्यापन कराते हैं, लेकिन पीएम मोदी ने एक आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को ही दिल्ली वालों की सुरक्षा करने के लिए भेज दिया। जिस व्यक्ति के उपर महिला उत्पीड़न का आरोप है, वो दिल्ली की सुरक्षा कैसे करेगा। इसी वजह से पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ रोजाना अपराध बढ़ते जा रहे हैं। एसिड अटैक, अपहरण, गैंगरेप, उत्पीड़न के मामले में रोजाना दिल्ली के किसी न किसी कोने से सुनने को मिलता है। एलजी के पास कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी है, लेकिन वो ये काम छोड़कर बाकी सारे काम करते हैं। इसके बाद भी कहते हैं कि वे दिल्ली पुलिस के काम से बहुत खुश हैं। एलजी विनय सक्सेना तो संविधान और कानून को भी नहीं मानते हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को सलाह बताते हैं। मैं राष्ट्रपति से अपील करती हूं कि ऐसे आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को दिल्ली के एलजी पद से हटाया जाए। ताकि दिल्ली की महिलाएं राहत और सुरक्षित महसूस करें। और किसी ऐसे व्यक्ति को दिल्ली का एलजी बनाया जाए जो दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था ढंग से चला पाए। ऐसा नहीं है कि भाजपा में सिर्फ लुच्चे-लफंगे ही बचे हैं, कुछ अच्छे लोग भी होंगे, जिनको दिल्ली के एलजी पद पर बैठाया जा सकता है।
मोदी सरकार को सिर्फ विपक्ष के नेताओं पर कार्रवाई करनी है, भाजपा के नेताओं को भ्रष्टाचार की खुली छूट है- संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि कर्नाटक में भाजपा के एक विधायक के बेटे के यहां करोड़ों रुपए की नोटों की गड्डियां बरामद हुईं। मीडिया में भी बरामद नोटों की गड्डियों के विजुअल चले। आज यह पता चल रहा है कि उस विधायक के बेटे को जमानत मिल गई है। भाजपा विधायक के घर पर करोड़ों रुपए बरामद हुए, नोटों की गड्डियां मिलीं, उसको जमानत मिल गई और अब वो जेल से बाहर आ जाएगा। वहीं, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। उनके उपर सीबीआई और ईडी छोड़ रखा है, रिमांड लिया जा रहा है। मनीष सिसोदिया को जेल में डाल रखा है। इसीलिए हम लोग कहते हैं कि भाजपा और मोदी सरकार सीबीआई, ईडी समेत अन्य जांच एजेंसियों का खुलेआम दुरुपयोग कर रही है। भाजपा और मोदी सरकार को सिर्फ विपक्ष के नेताओं पर कार्रवाई करनी है, भाजपा के नेताओं को भ्रष्टाचार की खुली छूट है। यह बात विधायक के बेटे को जमानत मिलने की घटना से भी साबित हो रही है। एक ऐसा बेइमान आदमी, जिसके घर में करोड़ों रुपए बरामद हुए हैं, उसको जमानत मिल जा रही है।