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कथित शराब घोटाले पर राउस एवेन्यू कोर्ट से भाजपा और सीबीआई-ईडी के गठजोड़ को जबरदस्त झटका लगा है। कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि दिल्ली में कोई शराब घोटाला नहीं हुआ है और न तो सीबीआई-ईडी के पास कोई सबूत ही है। इस संबंध में रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि अब कोर्ट ने भी कहा है कि रिश्वत या मनी लॉन्ड्रिंग का कोई ठोस सबूत नहीं है। हम तो शुरू से ही कह रहे हैं कि पूरा शराब घोटाला फर्जी है और इसका मकसद केवल ‘‘आप’’ को बदनाम करना है।

दूसरी तरफ, कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज व मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ के साथ पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर ‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तार राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को कोर्ट ने जमानत दे दी है। 85 पेज के आदेश में कोर्ट ने भाजपा और सीबीआई-ईडी द्वारा लगाए गए 100 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप को मनगढ़ंत बताया है। इस पैसा का इस्तेमाल गोवा चुनाव में करने का आरोप भी कोर्ट में धराशायी हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की एजेंसी सीबीआई-ईडी की जांच से आम आदमी पार्टी को देश की सबसे ईमानदार पार्टी होने का सर्टिफिकेट मिला है। ‘‘आप’’ पर सरासर झूठे आरोप लगाने के लिए अब पीएम मोदी और भाजपा को देश से माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से भाजपा के प्रवक्ता प्रेस कांफ्रेंस कर बार-बार दिल्ली में शराब घोटाला होने का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा के प्रवक्ताओं ने तथाकथित शराब घोटाले में जो आरोप लगाते आ रहे हैं, वहीं आरोप सीबीआई-ईडी की चार्जशीट में आ गए। छह महीने से ज्यादा समय से सीबीआई-ईडी जांच कर रही है। इस तथाकथित शराब घोटाले की जांच में 500 से अधिक अफसर लगाए गए हैं लेकिन इन्हें एक भी सबूत नहीं मिला है, क्योंकि ऐसा कोई घोटाला ही नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तथाकथित घोटाले के तहत भाजपा, सीबीआई- ईडी ने मुख्य रूप से दो आरोप लगाए हैं। इनका पहला आरोप लगाया कि नई शराब नीति बनाने के एवज में शराब कारोबारियों से 100 करोड़ रूपए की रिश्वत ली गई। इसके बाद यही आरोप सीबीआई-ईडी ने लगाया। इनका दूसरा आरोप है कि शराब कारोबारियों से लिए गए 100 करोड़ रुपए का इस्तेमाल गोवा चुनाव में किया गया।

‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि कल (शनिवार) को राउस एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत दे दी है। कोर्ट ने 85 पेज में आदेश दिया है। कोर्ट का आदेश स्पष्ट कर देता है कि सीबीआई-ईडी के पास एक रुपए के भ्रष्टाचार का सबूत नहीं है। आदेश में कई बार यह कहा गया है कि ईडी ने एक भी सबूत सामने नहीं रखा है। इनका पहला आरोप है कि 100 करोड़ का घोटाला हुआ और शराब कारोबारियों द्वारा 100 करोड़ की रिश्वत आम आदमी पार्टी को दी गई। सीबीआई-ईडी और भाजपा का कहना था कि इस किकबैक को देने में एक शराब कारोबारी गौतम मल्होत्रा भी शामिल थे। लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश के पैरा 74 में कहा है कि एक नए पैसे का रिश्वत देने का कोई भी सबूत कोर्ट के समक्ष नहीं रखा गया है। ईडी के पास कोई भी सबूत नहीं है।

‘‘आप’’ नेता आतिशी ने कहा कि ईडी की कहानी 100 करोड रुपए से शुरू होती है। हालांकि यह 100 करोड़ रुपए की राशि कहां से आई, यह भी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि ईडी खुद अपनी चार्जशीट में सिर्फ 30 करोड़ रुपए की बात कही है। ईडी के अनुसार ये 30 करोड़ रूपये तथाकथित तौर पर किकबैक के रूप में आए। इसको लेकर ईडी का आरोप है कि राजेश जोशी के माध्यम से 30 करोड़ रुपए दिल्ली आया और फिर उन्होंने ही इस पैसे को दिल्ली से गोवा पहुंचाया। बता दें कि राजेश जोशी एक वेंडर है और आउटडोर होर्डिंग्स-पोस्टर लगाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि 30 करोड़ रुपए की कहानी का खुलासा करते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश पैरा संख्या 44 में कहा गया है कि इस तथ्य को साबित करने या पुष्टि करने के लिए जांच एजेंसी द्वारा कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि 30 करोड़ के लेनदेन का कोई भी सबूत नहीं है। जो भी सबूत पेश किए गए है, उसे सबूत नहीं माना जा सकता है। मसलन, राजेश जोशी का नंबर किसी के फ़ोन में सेव था या उनके द्वारा किसी को कॉल किया गया, यह सबूत नहीं माना जा सकता।

‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि अपने आरोप में ईडी ने कहा है कि राजेश जोशी ने इस 30 करोड़ रुपए दिल्ली से गोवा पहुंचाया। इसका लेनदेन पर्चियों के माध्यम से हुआ। इस पर भी कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए अपने आर्डर के पैरा 66 में कहा है कि ये कागज़ की पर्चियां किसी भी गवाह या किसी हवाला ऑपरेटर के पास से या मोबाइल फोन से न तो हार्ड कॉपी और न ही डिजिटल रूप में बरामद किए गए हैं। इस रकम के संबंध में किसी भी हवाला कारोबारी से जब्त कोई भी रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं किया गया है। यानि कि जो 30 करोड़ रुपए पर्चियों से लेनदेन के जरिए दिल्ली से गोवा गए, उसका भी कोई सबूत ईडी और सीबीआई के पास नहीं है। भाजपा, ईडी और सीबीआई का पहला आरोप इस तरह से ध्वस्त हो गया है। क्योंकि सीबीआई-ईडी ने 100 करोड़ की रिश्वत के लेनदेन व दिल्ली से गोवा पहुंचाने का कोई भी सबूत कोर्ट के सामने नहीं रखा है।

‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि दूसरा आरोप लगाया गया है कि रिश्वत में लिए गए 100 करोड़ रुपए को गोवा चुनाव में खर्च किया गया। इसकी जांच को लेकर पिछले 6 महीने से ईडी- सीबीआई के सारे अफसर गोवा में बैठे हैं। उन्होंने ‘‘आप’’ के साथ काम करने वाले हर वेंडर के ऑफिस में छापा मार लिया है और सबको पूछताछ के लिए बुलाया। 100 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाने वाली ईडी ने छह महीने की जांच के बाद कोर्ट के सामने कहा कि आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में मात्र 19 लाख रुपये कैश में खर्च किया है। अब ईडी ने जांच कर पूरे देश के सामने साबित कर दिया है कि आम आदमी पार्टी देश की सबसे इमानदार पार्टी है। आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में सिर्फ 19 लाख रुपये कैश में खर्च किया है और बाकी सारा भुगतान चेक से किया है। ईडी की जांच ने यह साबित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि कल जब राउस एवेन्यू कोर्ट के इस आदेश को भाजपा के प्रवक्ता पढ़ेंगे और मैं उम्मीद करती हूं कि इस आधार पर अब भाजपा प्रवक्ता कई बार प्रेस कांफ्रेंस करके माफ़ी मांगेंगे कि दिल्ली में कोई भी शराब घोटाला नहीं हुआ। वे पिछले एक साल से सिर्फ झूठ बोल रहे थे। इसके साथ ही, कोर्ट के इस आदेश ने सीबीआई-ईडी की असलियत का भी पर्दाफाश किया है। अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि सीबीआई-ईडी द्वारा दाखिल की जाने वाली चार्जशीट प्रधानमंत्री कार्यालय में लिखी जाती है। प्रधानमंत्री कार्यालय से सीबीआई और ईडी को कहा जाता है कि हमने जो आरोप लगाए हैं, उसे साबित करो और उसके लिए गवाह ढूंढो। उसके बाद सीबीआई-ईडी लोगों को बुलाकर डराती-धमकाती है। उनके साथ मारपीट कर अपने अनुसार बयान लिखवाती है। जैसा कि इस केस में तीन गवाहों ने अपने बयान वापस लिए हैं। इसमें चंदन रेड्डी, अरुण पिल्लई, समीर महेन्द्रू शामिल है। इन सबने कहा है कि उन पर एजेंसी द्वारा दबाव बनाया गया। चंदन रेड्डी की मेडिकल रिपोर्ट भी दिखाती है कि उसके साथ मारपीट की गई और उसके कान के परदे फाड़ दिए गए।

उन्होंने कहा कि जब सीबीआई-ईडी को ठोस सबूत दिखाना होता है, तब ये एजेंसियां झूठ बोलती हैं कि मनीष सिसोदिया ने सबूत मिटाने के लिए 14 फ़ोन तोड़ डाले। वहीं, जब हम खुद बिना किसी संसाधन के जांच करके मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर निकालते हैं तब पता चलता है कि 14 में से 7 फ़ोन तो सीबीआई-ईडी के पास है और अन्य 7 फोन अभी प्रयोग में हैं। इससे सीबीआई-ईडी के झूठे सबूत पेश करने का भी पर्दाफाश हो जाता है। चूंकि सीबीआई-ईडी के पास प्रधानमंत्री कार्यालय से आदेश आया है तो उन्हें सबूत के तौर पर कुछ तो दिखाना पड़ेगा। इसलिए ईडी चार्जशीट में सांसद संजय सिंह का नाम डाल देती है। लेकिन जब संजय सिंह लीगल नोटिस भेजते हैं तो ईडी को माफी मांगनी पड़ती है और कहना पड़ता है कि उससे गलती हो गई है और गलती से चार्जसीट में संजय सिंह का नाम डाल दिया।

‘‘आप’’ की वरिष्ठ नेता आतिशी ने कहा कि अब देश के सामने यह बिल्कुल साफ हो गया है कि शराब घोटाले के नाम पर जो कुछ बताया जा रहा है, वो सरासर झूठ, बेबुनियाद और बिना किसी सबूत के है। दिल्ली में कोई भी ऐसा घोटाला नहीं हुआ है। कोर्ट अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में किसी भी संतोषजनक तथ्य नहीं है और ईडी का बयान विरोधाभासी और साक्ष्यों की कमी है। अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की ये जिम्मेदारी है कि वे सामने आएं और देश से माफ़ी मांगें कि वे पिछले एक साल से देश को गुमराह कर रहे हैं। साथ ही अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी और मनीष सिसोदिया को बदनाम कर रहे हैं।

राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1- दिल्‍ली आबकारी नीति मामले में ईडी के मुख्य गवाह दिनेश अरोड़ा के बयानों को कोर्ट ने अविश्वसनीय और विरोधाभाषी माना।

2- मुख्य गवाह दिनेश अरोड़ा खुद ही ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने बतौर रिश्वत 20 करोड़ दिए या 30 करोड़ दिए और इसमें से कितना उन्होंने राजेश जोशी को दिया (पैरा 44)- कोर्ट

3- राजेश जोशी को एक करोड़ रुपए कैश देने को लेकर सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा के बयानों में काफी घालमेल है। 30 सितंबर 2022 को अपने पहले बयान में दिनेश अरोड़ा, राजेश जोशी को दिए गए कैश को लेकर चुप हैं। वहीं, 01 अक्टूबर 2022 को दिए दूसरे बयान में वे कहते हैं कि उन्होंने राजेश जोशी को एक करोड़ रुपए कैश दिए और 05 अक्टूबर 2022 को एक अन्य बयान में दिनेश अरोड़ा ने खुद को यह कहते हुए सही किया कि उन्होंने राजेश जोशी से एक करोड़ रुपए कैश प्राप्त किए और अंत में जब 11 फरवरी 2023 को राजेश जोशी से सामना हुआ, तब दिनेश अरोड़ा का कहना था कि वे राजेश जोशी से पहले कभी नहीं मिले थे (पैरा 45)- कोर्ट

4- इस संबंध में मुख्य गवाह या किसी हवाला आपरेटर के फोन से किसी भी प्रकार का डिजिटल या कागजी सबूत या दस्तावेज नहीं मिले हैं। इसी प्रकार, इस राशि के लेनदेन में आरोपी किसी भी हवाला आपरेटर की बातचीत का मोबाइल रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया है। साथ ही, न तो इस राशि के लेन-देन को लेकर इन हवाला आपरेटरों से कोई दस्तावेज या सबूत बरामद किया गया है (पेज 46)- कोर्ट

5- पैसे के लेन-देन से संबंध में कोई संतोषजनक तथ्य उपलब्ध नहीं है। साथ ही, इनके विरोधाभाषी होने और कमजोर साक्ष्यों को देखते हुए दिनेश अरोड़ा का बयान पर्याप्त सबूत नहीं माना जा सकता (पैरा 47) – कोर्ट

6- ईडी ने मुख्य गवाह दिनेश अरोड़ा के निर्देश पर गौतम मल्होत्रा (मैसर्स गौतम वाइन के मालिक) द्वारा सह-आरोपी अमित अरोड़ा को 2.5 करोड़ रुपये रिश्वत देने का आरोप लगाया है। अमित अरोड़ा के बयान के अलावा मुख्य गवाह दिनेश अरोड़ा के पास किसी भी तरह के दस्तावेजी या ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के चलते इस मामला में दम नजर नहीं आ रहा है- कोर्ट

7- भले ही गौतम मल्होत्रा के परिवार द्वारा एक कार्टेल बनाया गया हो, लेकिन यह पूरी तरह से बिजनेस कार्टेल था, जो कि उक्त आबकारी नीति या दिल्ली एक्साइज एक्ट का उल्लंघन था। इसमें किसी प्रकार की आपराधिक साजिश का सबूत नहीं है- कोर्ट

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