दिल्ली उच्च न्यायालय ने लेफ्टिनेंट गवर्नर के 12 अप्रैल के उस ऑर्डर को अवैध घोषित कर दिया है जिसमें एलजी साहब ने आईटीओ स्थित आम आदमी पार्टी कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया था। आम आदमी पार्टी माननीय दिल्ली हाई कोर्ट के इस फ़ैसले का सम्मान करती है।
इस मुद्दे पर पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रैस कॉंफ्रैंस में बोलते हुए पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने कहा कि ‘एलजी के माध्यम से आम आदमी पार्टी कार्यालय के आवंटन को रद्द करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कुछ रिटायर्ड नौकरशाहों के साथ मिलकर एक संयुक्त साजिश रची थी जिसका पर्दाफ़ाश हो गया है।
यह किसी की भी समझ से परे था कि पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में 95 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल करने वाली एक पार्टी के कार्यालय का आवंटन कोई भी कारण दिए बिना ही रद्द कर दिया गया था।
माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से नियम और कानून की व्याख्या करने को कहा है जिसके तहत आम आदमी पार्टी कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया गया था क्योंकि एलजी का वो ऑर्डर कोई भी स्पष्टीकरण देने में असमर्थ था।
दिल्ली सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी के लिए कार्यालय आबंटन कोई दान का कार्य नहीं था, बल्कि यह एक राज्य मान्यता प्राप्त पार्टी का अधिकार है, जिस पार्टी को 2013 विधानसभा चुनावों के बाद नियमों के अनुसार कार्यालय आवंटित होना चाहिए था।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश ने भाजपा और कांग्रेस दोनों की घटिया राजनीतिक साज़िश का पर्दाफाश किया है, जो पूरी दिल्ली में कई ईमारतों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। दिल्ली विधानसभा में शून्य सीट वाली कांग्रेस के दिल्ली में 5 कार्यालय और एक प्राइम लोकेशन प्लॉट है जबकि दिल्ली विधानसभा में सिर्फ़ चार सीट वाली बीजेपी के पास दिल्ली में 7 कार्यालय और एक प्राइम लोकेशन प्लॉट है।
आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस को चुनौती देती है कि दिल्ली में वो अपनी सम्पत्तियों और जमीन के भूखंडों की जानकारी सार्वजनिक करें।
आम आदमी पार्टी ने संपत्ति या कोई जमीन हांसिल करने के लिए कभी भी तरह के पक्षपात की ना तो कोई कोशिश की है और ना ही अपेक्षा की है। आम आदमी पार्टी पहले की तरह ही अपने क्रिर्याकलापों में पारदर्शिता बनाए रखना जारी रखेगी।
आम आदमी पार्टी किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने वाली, पार्टी सच और ईमानदारी के साथ बेईमान ताक़तों के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई को जारी रखेगी।
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